धन दौलत नहीं दहेज में दिए जाते हैं बेटियो को 9 सांप नाग पंचमी पर स्पेशल रिपोटिंग

धन दौलत नहीं दहेज में दिए जाते हैं बेटियो को 9 सांप
नाग पंचमी पर स्पेशल रिपोटिंग
कवर्धा खबर योद्धा।। बोडला विकासखंड में गौरिया जाति के लोग आज भी अपनी परंपरा का निर्वाहन करते आ रहे है । जहा आज भी बेटी के विवाह में दिया जाता है सापो को दहेज में। कबीरधाम जिले से लग भग 35 किलो मीटर दूर बोडला विकास खंड में इसका जीवंत उदाहरण गौरिया समुदाय जो अपनी परंपरा के अनुसार बेटियों को शादी में 9 सांपों का दहेज देकर सुखमय जीवन जीने का आशिर्वाद देते है। यह रिवाज उनके समुदाय में वर्षों से चला आ रहा है। जिसका निर्वहन 21वीं सदी के चकाचौंध के बीच आज भी परंपरा और मान्यताएं हमारे समाज में व्याप्त है।
इसका जीवंत उदाहरण गौरिया समुदाय जो अपनी परंपरा के अनुसार बेटियों को शादी में 9 सांपों का दहेज देकर सुखमय जीवन जीने का आशिर्वाद देते है।
एक ओर जहां विवाह के समय बेटी को उपहार देने के लिए लंबी खरीदारी होती है। वहीं पूरा परिवार विवाह की तैयारी को लेकर जुटा रहता है, लेकिन कवर्धा के बोड़ला विकासखंड के ग्राम बांधाटोला से करीब दो किलोमीटर दूर सपेरों की बस्ती की परंपरा कुछ अलग ही है।
जो बेटियों की विवाह में 9 सांपों का दहेज देते है। शादी से पहले जब कोई पिता अपनी बेटी के लिए अच्छे वर की तलाश करता है तो धन दौलत नहीं, बल्कि जहरीले सांप पूछता है। जिसके पास ज्यादा जहरीले सांप होते हैं, वहीं अच्छा वर होता है।
बच्चे भी खतरनाक सांपों से खेलते हैं
सांपों के साथ खेल-खेल में बड़े होने के बाद जब बेटी के विवाह का समय आता है तो यही सांप दहेज में दिए जाते हैं। गौरिया समुदाय में बेटी के विवाह पर पिता अपने दामाद को 12 सांप दहेज में देता है, ताकि उसका दामाद अपनी आजीविका चला सके। दहेज में सांपों का उपहार इस समुदाय में सांपों का उपहार ही दहेज है। पुरखों से चली आ रही इस परंपरा के बारे में बताया गया है कि यह प्रथा सदियों पुरानी है । रोजगार का साधन मुख्य सड़क से करीब दो किलोमीटर पगडंडी से होते हुए इन सपेरों की बस्ती तक पहुंचा जा सकता है। चंद घरों की इस बस्ती में हर घर में कई प्रजाति की सांप देखने को मिल जाएंगे। यहां के बच्चे बचपन से खिलौनों की जगह सांप के साथ खेलना शुरू कर देते हैं और देखते ही देखते सांप ही इनके खास साथी बन जाते हैं। बच्चों को बचपन से ही सांप पकड़ना के गुर सिखाए जाते हैं।
नाग पंचमी बस्ती में रहने वाले लोगों ने बताया कि पहले वे अमरकंटक मार्ग के कोटा परिक्षेत्र के जंगल में रहते थे। वहां इनका डेरा था, लेकिन अब पिछले कई साल से यहां निवासरत हैं। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही समुदाय के लोग रोजी रोटी के लिए निकल गए। पिटारे में सांप लेकर सभी परिवार अलग-अलग क्षेत्र में गए हैं, जहां नाग पंचमी को सांप का प्रदर्शन कर कुछ पैसे कमा सके।
इसके साथ ही आज भी ये समुदाय अपने परंपरा का निर्वाहन करते आ रहे है ।