जब तक सांसे चलती रही अकेला रहा । आज सांसे क्या रुकी काफिले घर तक आते है आखिर यह कैसी कार्रवाई ? बना जन चर्चा का विषय रो रो कर मां लगा रही न्याय की गुहार , जनता की माने तो करना था बर्खास्त
जब तक सांसे चलती रही अकेला रहा । आज सांसे क्या रुकी काफिले घर तक आते है
आखिर यह कैसी कार्रवाई ? बना जन चर्चा का विषय
रो रो कर मां लगा रही न्याय की गुहार , जनता की माने तो करना था बर्खास्त
बंद के आव्हान को मिला लोगों का पूरा समर्थन
कवर्धा खबर योद्धा।। जब तक सांसे चलती रही अकेला रहा । आज सांसे क्या रुकी काफिले घर तक आते है । कभी कहते थे चिन्हे राहिबे गा भैया अब शायद वो भूल जाते है । घुरावा का दिन बदलता है साहेब जमीन से ही आसमान छू जाते है । वक्त निकलने के बाद अच्छे अच्छे भूल जाते है । बूढ़ी अम्मा न्याय के इंतजार में निहार रही घर के चोखट पर कोई कहे अम्मा में भरोसा दिलाता हु कार्यवाही का ।
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में घटी हृदय विदारक घटना के बाद अब कार्यवाही को लेकर अनेक सवाल खड़े हो रहे है , आम चर्चा की बात करे तो लोग कह रहे है आखिर ये कैसी कार्रवाई की गई जिसमे सिर्फ खाना पूर्ति नजर आ रहा है । आज जहा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा को बंद का आव्हान किया गाय था वो पूरी तरह से सफल रहा , अब सोचे की जनता भी चाह रही है की प्रशांत को मां को न्याय मिले लेकिन सिर्फ तबादले की कार्यवाही कर मामले को हल्के में लिया जा रहा है । साहू समाज ने आज मंत्री का पुतला दहन भी किया लोग चीख चीख कर न्याय की मांग करते दिखे , एसपी अभिषेक पल्लव को बर्खास्त किए जाने की मांग भी की जा रही थी , इतनी बड़ी घटना के बाद भी कुछ ऐसा कार्यवाही नही दिखा जैसे बलदाऊ हत्या कांड में हुआ था । आज भी मां बिलख बिलख कर न्याय की गुहार लगा रही है । अब पूरे मामले में आगे कार्यवाही होती है की नही या जो कार्यवाही की गई उतने में ही कार्यवाही बंद कर दिया जायेगा ये तो आने वाले समय पर ही पता चल सकेगा , पर आम चर्चाओं से लग रहा है की इस कार्यवाही से लोग संतुष्ट नहीं है ।
सरकार बहुत हल्के में ले रही पुलिसिया बर्बरता को
लोहारीडीह आगजनी एवं हत्याकांण्ड के तथाकथित आरोपियों के साथ की गई पुलिसिया बर्बरता व मारपीट को प्रदेश सरकार और गृह विभाग के साथ ही प्रशासन बहुत ही हल्के में ले रहा है। जबकि इस बर्बरता और ग्रामीणों के साथ की गई मारपीट के जो फुटेज, विडियो और ग्रामीणों की आपबीति सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई है उसने पूरे जिले के साथ प्रदेश को दहला दिया है। बावजूद घटना के दाेषियों पर सरकार की अब तक की कार्यवाही संतोष जनक नहीं है। सरकार ने इस जघन्य कृत्य को अंजाम देने वालों पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ दो अधिकारी और एक कर्मी को निलंबित किया है। इससे ज्यादा मामले में कुछ भी नहीं किया गया है। जबकि देखा जाए तो इस मामले में पुलिस प्रशासन से लेकर जेल प्रशासन, अस्पताल प्रशासन के कई अधिकारी कर्मचारी सीधे तौर पर दोषी नजर आ रहे हैं। यहां तक उस क्षेत्रीय थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तक तय नहीं की गई है जहां कहा जा रहा है कि ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई थी। माना जा रहा है कि इस पुलिसिया बर्बरता, मारपीट और हृदय विदारक घटना पर शासन-प्रशासन का यह रवैया लोगों के असंतोष और आक्रोश को बढ़ाने वाला है। बेहतर होगा की इस पूरे मामले की न्यायीक जांच कराकर जिम्मेदारों की जिम्मेदारी तय की जाए और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए। ताकि लोगों का न्याय, कानून और शासन-प्रशासन पर भरोषा बना रहे।
पुलिस नहीं दे रही गिरफ्तार किए गए ग्रामीणों की जानकारी
हैरानी की बात यह है कि पुलिस घटना के 6 दिन बाद भी उन लोगों के नाम नहीं बता पा रही है जिनकों लोहारीडीह आगजनी तथा हत्याकाण्ड के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस बात की भी जानकारी स्पष्ट नहीं की जा रही है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कितने लोग जिला जेल कबीरधाम में हैं, कितने लोग दुर्ग जेल में है, कितने लोग जिला अस्पताल में भर्ती है और कितने लोगों को रायपुर रिफर किया गया है। ऐसा लगता है कि पुलिस इस मामले में बहुत कुछ छिपा रही है। जिस पर पर्दा डालने में शासन-प्रशासन भी उसका पूरा सहयोग कर रहा है। नहीं तो समय-समय पर जिला जेल का निरीक्षण करने वाला प्रशासन अब क्यों नहीं जिला जेल का निरीक्षण कर यह पता लगा रहा है कि यहां लोहारीडीह के कितने आरोपी बंद है और उनकी मौजूदा स्थिति क्या है।
जेल में बंद कई लोगों को बेहतर ईलाज की जरूरत
सूत्रों की माने तो जिला जेल से लेकर दुर्ग जेल में बंद पुलिसिया बर्बरता व मारपीट के ऐसे कई महिला-पुरूष कैदी हैं जो गंभीर रूप से घायल हैं। उनके शरीर पर गंभीर चोट के कई निशान हैं। स्थिति ये है कि कोई अपने पैरों में खड़े नहीं हो पा रहा है तो कोई दर्द के कारण बुखार में तप रहा है, किसी को खून की उल्टी हो रही तो कोई दर्द में कराह रहा है। ऐसे में इन पीडि़तों को बेहतर ईलाज की जरूरत है। सूत्रों की माने तो जिला जेल कबीरधाम से ऐसे कुछ घायल पीडि़तों को चोरी छिपे शुक्रवार की सुबह जिला अस्पताल भी लाया गया था लेकिन लोगों की नजरों से बचते बचाते उनका आनन-फानन में ईलाज कर उन्हें वापस जेल दाखिल कर दिया गया। वहीं खबर ये भी है कि पुलिसिया बर्बरता व मारपीट से गंभीर रूप से घायल कुछ लोगों को रायपुर भी रिफर किया गया है। इन हालातों में मानवता तो यही कहती है कि वास्तव में जिन पीडि़तों को बेहतर ईलाज की जरूरत है उन्हें अस्पताल में भर्ती कर उनका बेहतर ईलाज किया जाए और उनके पूरी तरह स्वस्थ्य होने के बाद जो वैधानिक कार्यवाही की जानी है वो की जाए।
आखिर पुलिस ने क्यों दिखाई इतनी बर्बरता
भाजपा के प्रदेश की सत्ता में काबिज होने और कबीरधाम जिले की कवर्धा विधानसभा के विधायक को गृह विभाग का दायित्व मिलने के बाद जिले में हत्या, बलवा, चोरी जैसे ऐसे कई सामूहिक अपराध के मामले सामने आए हैं जिनमें थोकभाव में आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है। लेकिन कभी भी गिरफ्तार किए गए आरोपियों के साथ ऐसी पुलिसिया बर्बरता व मारपीट देखने को नहीं मिली जैसी लोहारीडीह आगजनी और हत्याकाण्ड में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के साथ पुलिस प्रशासन द्वारा की गई है। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आखिर वो कौन सी वजह थी जिसने पुलिस को लोहारीडीह के ग्रामीणों के प्रति इतनी बेरहम बना दिया। क्या इसकी वजह ये है कि लोहारीडीह के ग्रामीणों ने पुलिस बल पर पथराव किया था या फिर वजह ये है कि इस गांव के अधिकांश लोग भाजपा समर्पित हैं।
बंद का आव्हान रहा सफल
आज लोहारीडीह के बंदी स्व. प्रशान्त साहू का जेल में दर्दनाक मौत मामले पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी कबीरधाम ने छत्तीसगढ़ बंद के समर्थन में कवर्धा बंद आव्हान किया था, जिसमें लोगो ने अपना पूरा समर्थन दिया ।