पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में जिला स्तरीय सिकल सेल स्क्रीनिंग और जागरूकता शिविर का किया गया आयोजन सिकल सेल रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय पर इसकी पहचान करना बहुत जरूरी-सांसद संतोष पाण्डेय
सिकल सेल रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय पर इसकी पहचान करना बहुत जरूरी-सांसद संतोष पाण्डेय
पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में जिला स्तरीय सिकल सेल स्क्रीनिंग और जागरूकता शिविर का किया गया आयोजन
कवर्धा । विश्व सिकल सेल दिवस पर आज कवर्धा के पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में जिला स्तरीय सिकल सेल स्क्रीनिंग और जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का मुख्य उद्देश्य सिकल सेल रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय पर जांच और उपचार की सुविधा प्रदान करना है। शिविर में सांसद संतोष पाण्डेय विशेष रूप से शामिल हुए और इस महत्वपूर्ण पहल की सराहना की। शिविर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने सिकल सेल रोग की पहचान, लक्षण और इसके इलाज के बारे में जानकारी दी। स्क्रीनिंग के माध्यम से कई लोगों की जांच की गई और उन्हें उचित परामर्श दिया गया। शिविर में आए लोगों को सिकल सेल रोग के बारे में जागरूक किया गया और इसके प्रभाव से बचाव के उपाय बताए गए।
सांसद संतोष पाण्डेय ने कहा कि सिकल सेल रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय पर इसकी पहचान करना बहुत जरूरी है। ऐसे शिविरों के माध्यम से हम समाज में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं और प्रभावित लोगों को समय पर उचित इलाज मुहैया करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम निरोग कैसे रह सकते है इसके लिए वेदों, ग्रंथो में महापुरूषों ने अनेक योग और औषधियों के बारे में जानकारी दी है। जिससे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त रह सके। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीबी कुष्ट रोग को नष्ट करने के लिए अभियान चलाकर कार्य किया है और सफलता भी प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि सिकल सेल रोग अनुवांशिक होता है।
रक्त में लाल कोशिका होती है। इस रोग में गोलाकार लाल रक्त कण हसिंए के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते है। हमारे देश में इसके निराकरण के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था की गई है। यदि हम सिकल सेल के बारे में जानकारी रखे तो इससे बचा जा सकता है। जिस प्रकार विवाह के समय कुडंली और रास का मिलान करते है उसी प्रकार हमे सिकल सेल मेडिकल जांच कराना चाहिए। इसके बारे में जानकारी और परहेज ही सबसे अच्छी दवा है। उन्होंने कहा कि हमें सभी बिमारियों के विषय में जानकारी रखना चाहिए और जानकारी ही श्रेष्ठ दवा है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सभी को सजग रहना चाहिए। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य रामकुमार भट्ट ने भी संबोधित किया।
नागरिकों ने कार्यक्रम की सराहना
पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित शिविर में भाग लेने वाले लोगों ने इस पहल की सराहना की और कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से उन्हें बहुत लाभ हुआ है। विशेषज्ञों ने बताया कि सिकल सेल रोग एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसकी समय पर पहचान और सही उपचार से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस शिविर का आयोजन सिकल सेल रोग की गंभीरता और इसके प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था, और इसे व्यापक रूप से सराहा गया।
सिकलसेल रोग के बारे में जानने योग्य बातें
हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, लेकिन सिकल सेल रोग में यह काम बाधित हो जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले इस रोग में गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबीन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं। ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी (शिराओं) में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं।
सिकलसेल रोग के मुख्य लक्षण
सिकलसेल रोग के मुख्य लक्षण भूख नहीं लगना, थकावट,तिल्ली में सूजन, हाथ-पैरों में सूजन,खून की कमी से उत्पन्न एनीमिया,त्वचा एवं आंखों में पीलापन (पीलिया), चिड़चिड़ापन और व्यवहार में बदलाव,सांस लेने में तकलीफ,हल्का एवं दीर्घकालीन बुखार रहना,बार-बार पेशाब आना व मूत्र में गाढ़ापन,वजन और ऊंचाई सामान्य से कम और हड्डियों एवं पसलियों में दर्द होना है। अगर उक्त लक्षण हैं और सिकलसेल की जांच नहीं करवाएं हैं तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर सिकल सेल की निःशुल्क जांच अवश्य कराएं और सिकलसेल गुणसूत्र है या नहीं इस बारे में पूरी जानकारी अवश्य लेवें।