शरारत मेरे हिस्से में नहीं आई, परिस्थितियां अलग थीं, बच्चों को शरारत जरूर करनी चाहिए- मुख्यमंत्री
शरारत मेरे हिस्से में नहीं आई, परिस्थितियां अलग थीं, बच्चों को शरारत जरूर करनी चाहिए- मुख्यमंत्री श्री साय
रायपुर खबर योद्धा विद्या भूषण दुबे।। शरारत मेरे हिस्से में नहीं आई लेकिन बच्चों को शरारत जरूर करनी चाहिए। साथ ही अपने सपने पूरे करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इसके लिए यह मायने नहीं रहता कि आप गांव के स्कूल से पढ़ रहे हैं या शहर के स्कूल से। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने यहां धमतरी जिले में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित मिशन अव्वल, मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह में बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए यह बातें कहीं। कुरुद से आई वेदिका देवांगन।
कक्षा दसवीं की छात्रा ने मुख्यमंत्री श्री साय से पूछा कि जैसे सारे बच्चे स्कूल लाइफ में शरारती होते हैं। वैसे ही आप भी शरारती थे क्या।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वेदिका आपने बहुत अच्छा प्रश्न किया। शरारत तो बचपन में करते ही हैं लेकिन मेरे साथ अलग परिस्थितियां थीं। दस साल की उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। परिवार में मैं सबसे बड़ा बेटा था, उस समय मैं चौथी कक्षा में था। पूरे परिवार का भार मुझ पर आ गया। खेतीबाड़ी देखना, समाज देखना, घर वालों को देखना, यह सब मेरे जिम्मे आया।
पढ़ाई तो की, शरारत करने का मौका नहीं मिल पाया। बचपन से ही जिम्मेदारी संभाली इसलिए परिस्थिति अलग थी। हमेशा सोचता था कि पढ़ाई कैसे करूं, घर को कैसे देखूं। मेरा छोटा भाई एक साल का ही था। सबको संभालना था, लेकिन आपसे कहता हूँ कि शरारत भी जरूर करें, यह सब बचपन की यादें रहती हैं ।