January 14, 2025

व्याख्याता ने बीइओ पद पर लिया ज्वाईनिंग फिर बनाए गए व्याख्याता अवर सचिव के आदेश पर उठ रही उंगलियां, उच्चाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

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व्याख्याता ने बीइओ पद पर लिया ज्वाईनिंग फिर बनाए गए व्याख्याता

अवर सचिव के आदेश पर उठ रही उंगलियां, उच्चाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

कवर्धा /रायपुर खबर योद्धा ।। अवर सचिव छग शासन लोक शिक्षण विभाग के पत्र की सत्यता जाने बिना ही जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा एक व्याख्याता को पहले खंड शिक्षा अधिकारी पद पर ज्वाइनिंग दे दी गई उसके कुछ दिनों बाद अपने ही आदेश को डीईओ कार्यालय ने पलट दिया ।
पूरा मामला कबीरधाम जिला हाई स्कूल बेन्दरची के व्याख्याता दयाल सिंह से जुड़ा हुआ है ।

चर्चा है कि श्री सिंह अवर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग के हस्ताक्षर से जारी आदेश लेकर डीईओ कार्यालय पहुंचा और अधिकारी को बताया कि अवर सचिव ने उन्हें बीईओ के पद पर ज्वाइनिंग का निर्देश दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी श्री सिंह के द्वारा प्रस्तुत पत्र की सत्यता जाने बगैर और अवर सचिव से पूछे बिना ही दयाल सिंह को बीईओ के लिए ज्वाइनिंग का आदेश थमा दिया।
*कुछ दिनों के बाद विभाग में अवर सचिव के पत्र को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ। जानकार लोगों का यह कहना था यदि श्री सिंह को खंड शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिए जाने का आदेश जुलाई माह में हो गया था तो श्री सिंह के द्वारा दो महीने के बाद उक्त पत्र को जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष बीइओ पद पर जॉइनिंग के लिए क्यों प्रस्तुत किया गया ? जिला शिक्षा अधिकारी की प्रतिलिपि दो महीने में क्यों नहीं पहुंची?

 


पत्र की सत्यता पर संदेह का धुआं उठते ही डीईओ के पैरों तले जमीन खिसक गई। कहां जाता है कि जिला शिक्षा अधिकारी कबीरधाम के द्वारा फिर आनन फानन मे व्याख्याता दयाल सिंह के BEO पद पर ज्वानिंग को आदेश को निरस्त किया गया और उन्हें उनके मूल पद व्याख्याता गणित हाई स्कूल बेदर्दी के लिए लौटा दिया गया।
बात यहीं खत्म नहीं हुई है जानकारों का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा श्री सिंह के द्वारा प्रस्तुत पत्र की सत्यता के लिए 27 सितंबर 2024 को अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन लोक शिक्षण विभाग मंत्रालय नया रायपुर को एक पत्र कवर्धा से भेजा गया है । उल्लेखनीय है कि दुर्व्यवहार सहित अनेक मामलों में शिकायत मिलने के बाद प्रभारी BEO दयाल सिंह (मूल पद व्याख्याता) को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। निलंबन आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की जहां से श्री सिंह को राहत मिल गयी और उन्हें विभाग ने बहाल तो कर दिया लेकिन बीईओ नहीं बनाया।

इस घटनाक्रम के बाद से शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय और मंत्रालय के उच्च अधिकारी संदेह के दायरे में है। विभाग में चल रही चर्चाओं के अनुसार यदि पद लोलुपता में दयाल सिंह ने अवर सचिव के हस्ताक्षर से जारी पत्र से साजिश की और बीईओ पद पर ज्वाइनिंग ली तो उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही अब तक क्यों नहीं की गई है ? दूसरी बात जब जिला शिक्षा अधिकारी पत्र की सत्यता के लिए छत्तीसगढ़ शासन लोक चरण लोक शिक्षण विभाग से जानकारी मांग रहे हैं तो इस पर विभाग के द्वारा विलंब क्यों किया जा रहा है ? दो महीने तक deo को मंत्रालय के पत्र की प्रतिलिपि क्यों नहीं मिली ? श्री दयाल के द्वारा प्रस्तुत पत्र के आधार पर उन्हें beo के लिये पृष्ठठांकित क्र 5511A/दिनांक 23.9.24 को क्यों किया गया ? ये वे अनुत्तरित प्रश्न है जिसका जवाब जब तक नहीं मिल जाता तब तक संदेह के बदले शिक्षा विभाग में छाए रहेंगे।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार व्याख्याता को BEO नहीं बनाया जा सकता। व्याख्याता को खंड शिक्षा अधिकारी बनाए जाने के मामले में अनेक बार शिक्षा विभाग और राज्य सरकार की किरकिरी हाई कोर्ट में हो चुकी है । विभाग ने हाईकोर्ट में स्वीकार किया है कि व्याख्याता को बीईओ बनने की पात्रता नहीं है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि विभाग श्री सिंह के विरुद्ध क्या कार्रवाई करते हैं और इस प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध क्या कोई कार्यवाही की जाएगी ?

वर्जन- मैं अभी फील्ड में हूं इस विषय में बाद में बात करूंगा। deo श्री साहू कवर्धा

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जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

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