पानी पीए छान के गुरु बनाए जान के – सुरेंद्र दास जी
बिना गुरु दान का कोई महत्त्व नहीं – सुरेंद्र दास
।। कवर्धा खबर योद्धा ।। श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन महराज पुर में किया गया है । तीसरे दिन की कथा में कथा व्यास वैष्णवाचार्य सुरेन्द्र दास जी ने भक्तों को बताय कि गुरु के बिना इस भव सागर से कोई पार नही लगता इस लिए गुरु बनाना अति आवश्यक है । अगर हम बिना गुरु के दान भी करते है तो इसका पुन्य प्राप्त नहीं होता । इस जीवन में माता पिता की सेवा करना गुरु का सेवा करना यही परम् धर्म है ।
देवर्षि नारद जी हमेशा धर्म के प्रचार व लोक-कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कारण सभी युगों, सभी लोकों, समस्त विद्याओं व समाज के सभी वर्गो में नारद जी का सदा से एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। नारद जी को निरंतर चालायमान और भ्रमणशील होने का वरदान मिला है। कहा जाता है कि नारद जी सहायक के रूप में हमेशा सच्चे व निर्दोष लोगों की पुकार भगवान विष्णु तक पहुंचाते हैं।
नारद अवतार का महत्व
ग्रंथों के अनुसार, नारद जी सभी लोकों में आ जा सकते थे। ऋषि, देवताओं के साथ-साथ दैत्य भी इनका आदर करते थे। समय-समय पर सभी ने इनसे परामर्श लिया है। यही नहीं, कई बार नारदजी की वजह से ही देवताओं ने दैत्यों पर जीत भी हासिल की। इन्हें भगवान का मन इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये प्रभु हरि के मन की बात जान लेते हैं और जब-जब भगवान का अवतार होता है, ये उनकी लीला के लिए भूमि तैयार करते हैं। उपयोगी साधनों का संग्रह करते हैं और अन्य प्रकार की सहायता करते हैं। नारद जी को व्यासजी, वाल्मीकि तथा परम ज्ञानी शुकदेव जी का गुरु भी माना जाता हैं।