दहशत के साए में शिक्षक जगा रहे  शिक्षा का अलख, स्कूल को देख डर रहे छात्र

दहशत के साए में शिक्षक जगा रहे शिक्षा का अलख, स्कूल को देख डर रहे छात्र

हर दिन डर के साये में हो रही पढ़ाई- बड़ौदा खुर्द का स्कूल बना जर्जर इमारत,  छात्र और शिक्षक के बना दहशत

 

सहसपुर लोहारा खबर योद्धा।। शिक्षा का अधिकार कागजों पर चाहे कितना चमकता हो, लेकिन हकीकत यह है कि जिले के कई स्कूल आज भी खस्ताहाल इमारतों में चल रहे हैं। सहसपुर लोहारा विकासखंड के ग्राम बड़ौदा खुर्द का प्राथमिक विद्यालय इसका ज्वलंत उदाहरण है। यहां पढ़ने वाले छोटे-छोटे विद्यार्थी रोजाना उस इमारत में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं, जिसकी छत से भरभराकर पलस्तर गिर रहा है और दीवारों से पानी रिस रहा है।

 

हर दिन डर के साये में पढ़ाई

 

गांव के लोग बताते हैं कि बारिश शुरू होते ही स्थिति और खतरनाक हो जाती है। छत से लगातार पानी टपकता है और पलस्तर बच्चों के सिर के पास गिरने लगता है। अभिभावक मजबूरी में अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, लेकिन मन में हर वक्त डर बना रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार शिक्षा पर करोड़ों का बजट घोषित करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हमारे स्कूल जैसे भवन उपेक्षित ही रह जाते हैं।

 

शिकायतें हुईं, पर कार्रवाई नहीं

 

ग्रामीणों और शिक्षकों का कहना है कि इस स्कूल की हालत की जानकारी कई बार विभाग को दी गई, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। शिक्षकों ने बताया कि वे खुद भी बच्चों के साथ डर में रहते हैं, क्योंकि कक्षाओं में पढ़ाई करते समय ऊपर से मलबा गिरना आम बात हो गई है। अगर पढ़ाई बंद कर दें तो विद्यार्थियों का नुकसान होगा, लेकिन इस तरह पढ़ाना भी खतरे से खाली नहीं है।

 

 

कलेक्टर का आदेश भी बेअसर

 

कुछ महीने पहले जिले के सभी स्कूलों की मरम्मत और सुरक्षा संबंधी काम पूरा करने का आदेश दिया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि बड़ौदा खुर्द का प्राथमिक विद्यालय भी उसी सूची में शामिल होना चाहिए था, लेकिन आज तक यहां कोई सुधार नहीं हुआ। उनका कहना है कि आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी एफ.आर. वर्मा ने कहा

प्राथमिक शालाओं की मरम्मत के लिए ग्राम पंचायतों को 80 हजार रुपए तक का बजट दिया जाता है और कई जगह इसी से काम कराया गया है। यदि कोई भवन बहुत ज्यादा जर्जर है तो उसका प्रस्ताव बनाकर राज्य शासन को भेजा जाता है। बड़ौदा खुर्द स्कूल के संबंध में जानकारी लेकर ही स्पष्ट कह पाऊंगा, लेकिन जिन स्कूलों को चिन्हांकित किया गया है, उनके प्रस्ताव शासन को भेजे जा चुके हैं।

 

सुरक्षा को लेकर उठे सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को रोज हादसे के साये में पढ़ाई कराना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। उनका सवाल है कि अगर कभी कोई हादसा हो गया तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब तक नया भवन तैयार नहीं होता, तब तक बच्चों को किसी सुरक्षित भवन में शिफ्ट किया जाना चाहिए।

 

 

 

समाधान की मांग

 

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि बड़ौदा खुर्द स्कूल का तुरंत सर्वे किया जाए। भवन को असुरक्षित घोषित कर जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो वे सामूहिक रूप से बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे।

जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

 
error: Content is protected !!