शिव मय हुआ घूघरी खुर्द, गूंजा हर हर महादेव 

शिवमय हुआ घूघरी खुर्द, गूंजा हर हर महादेव 
सारी समस्या का हल, एक लोटा जल – पंडित प्रदीप मिश्रा

कवर्धा खबर योद्धा।। घुघरीखुर्द में चल रही शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन शनिवार को आस्था और अध्यात्म का अद्भुत समागम देखने को मिला। सुबह से देर शाम तक हजारों श्रद्धालुओं की आवाजाही शहर के मिनीमाता से कथा स्थल तक अनवरत जारी रही। क्षेत्र का माहौल पूरी तरह शिवमय रहा। तीसरे दिन के मुख्य प्रवचन में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मनुष्य जीवन में चाहे जितनी जटिल समस्या हो, शिव स्मरण और श्रद्धा के साथ अर्पित किया गया एक लोटा जल जीवन को सरल बनाता है। उन्होंने कहा कि भक्ति का मूल मन में है, और मन में शिव हों तो भय, आकर्षण और भ्रम दूर हो जाते हैं।

मन में विश्वास और स्वीकार, तभी शिव कृपा संभव

प्रवचन में कहा गया कि मनुष्य की सभी समस्याओं का मूल मन के भीतर है। मन में संशय, क्रोध, मोह और ईर्ष्या हो तो सुख भी अस्थिर हो जाता है। पंडित मिश्रा ने कहा कि मनुष्य मंदिर में चढ़ावा तो देता है, लेकिन अपने भीतर के भाव को शुद्ध नहीं करता। उन्होंने कहा कि असली पूजा वही है जिसमें व्यक्ति अपने दोष पहचानकर उन्हें त्यागने का प्रयास करे। शिवमार्ग सरल है, कठिनाई मनुष्य स्वयं बनाता है। भक्ति तभी सार्थक है जब मनुष्य भीतर से ईमानदार हो और सत्य को स्वीकार करने की क्षमता रखे। उन्होंने कहा कि एक लोटा जल मात्र जल नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है, जो शिव तक पहुंचने का सबसे सरल साधन है।

एक लोटा जल – श्रद्धा का माध्यम

कथा में बताया गया कि भक्त शिव को एक लोटा जल अर्पित करे और मन में सच्चा संकल्प रखे, तो जीवन में समस्याएं स्वतः सुलझने लगती हैं। उन्होंने कहा कि शिव को भोग नहीं चाहिए, मन चाहिए। भक्त का भाव ही सबसे बड़ा अर्पण है। जल अर्पित करते समय मनुष्य मन को खाली कर देता है, और इसी खालीपन में शिव शांति का स्वरूप भर देते हैं। इसलिए कभी भी शिवालय जाएं तो विस्तृत अनुष्ठान से पहले मन से अर्पित किया गया एक लोटा जल ही काफी है। यही साधना का प्रारंभ है।

दोष स्वीकारो, तभी खुलता है शिवमार्ग

कथा में कहा गया कि साधना तब शुरू होती है जब मनुष्य अपने दोषों को पहचानकर स्वीकार करे। जब तक मनुष्य स्वयं को निर्दोष समझता रहता है, तब तक शिवमार्ग नहीं खुलता। क्रोध, मोह, अहंकार, छल और ईर्ष्या जीवन को दूषित करते हैं। शिवमार्ग पर जाने वाला व्यक्ति पहले अपने भीतर की अशांति को त्यागता है। जब मनुष्य अपनी भूलों को स्वीकार कर आगे बढ़ता है, तभी संकल्प फलता है और शिव कृपा प्राप्त होती है। 

शिव-स्मरण मन को स्थिर करता हैप्रवचन में बताया गया कि आज मनुष्य का सबसे बड़ा संकट मानसिक अस्थिरता है। जीवन की समस्याएं मन को तोड़ देती हैं, और मन टूटे तो निर्णय क्षमता समाप्त हो जाती है। शिव स्मरण मन को स्थिर करता है और विचारों को सही दिशा देता है। उन्होंने कहा कि क्रोध मनुष्य को भीतर से खोखला करता है, जबकि शिव स्मरण उसे शक्ति देता है। ध्यान, संयम और सत्य आचरण शिवमार्ग की मूल धारणाएं हैं, जिन्हें अपनाकर मनुष्य परिस्थितियों को नियंत्रित कर सकता है।

माता-पिता की सेवा सर्वोच्च उपासना

कथा में बताया गया कि शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए माता-पिता की सेवा सर्वोच्च है। यदि मनुष्य माता-पिता के चरणों में सम्मान रखता है, तो वही सेवा उसकी सबसे बड़ी पूंजी है। उन्होंने कहा कि फूल-फल चढ़ाने से पहले अगर व्यक्ति अपने व्यवहार में सच्चाई और विनम्रता चढ़ा दे, तो शिव की कृपा स्वतः मिल जाती है। 

 

श्रद्धालुओं की भारी भीड़, सड़कें भक्ति में डूबींसुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ शहर के मिनीमाता से घुघरीखुर्द के लिए निकलती रही। कई जगह पैदल जत्थे भजन-कीर्तन करते आगे बढ़ते दिखे। दोपहिया व चारपहिया वाहनों की लंबी कतारों के बीच भी लोग अनुशासित रूप से कथा स्थल पहुंचते रहे। कथा स्थल में जगह कम पड़ने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाहर बैठकर भी कथा का श्रवण करते रहे।

पुलिस की सुदृढ़ पार्किंग व्यवस्था

कबीरधाम पुलिस द्वारा गांव और आसपास के क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर पार्किंग की सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। निर्धारित स्थानों पर वाहन खड़े कर पैदल मार्ग खाली रखा गया, ताकि श्रद्धालुओं को आने-जाने में असुविधा न हो। भीड़ अधिक होने के बावजूद यातायात सुचारू रहा, और पुलिस तथा स्वयंसेवक लगातार मार्गदर्शन में लगे रहे। 

रुद्राक्ष और शमी पौधों का निःशुल्क वितरणकथा स्थल की ओर आने-जाने वाले मार्ग में कई स्थानों पर श्रद्धालुओं को निशुल्क रुद्राक्ष वितरित किए गए। लोगों ने इसे शिव का आशीर्वाद मानकर ग्रहण किया। साथ ही शमी पत्र के पौधों का भी वितरण किया गया, जिन्हें लोग अपने घर ले जा रहे थे। शमी शिव का प्रिय माना जाता है, इसलिए श्रद्धालुओं ने इसे विशेष महत्व के रूप में लिया।

गांव में मेले जैसा माहौल, विशाल भंडारा जारी

पूरे गांव में मेले जैसा वातावरण रहा। सड़क किनारे जल-व्यवस्था, प्रसाद वितरण और सेवा गतिविधियां लगातार चलती रहीं। ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन और स्वागत किया। कथा स्थल से कुछ दूरी पर विशाल भंडारा आयोजित किया गया, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भोजन प्रसादी ग्रहण कर रहे हैं। व्यवस्था सुचारू थी और किसी को परेशानी नहीं हुई।

जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

 
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