January 22, 2025

मूर्तिकार श्रीगणेश की मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे विष्णु , यमदेव, प्रभु श्रीराम, नटराज के स्वरूप में विराजेंगे श्री गणेश  

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मूर्तिकार श्रीगणेश की मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे

विष्णु , यमदेव, प्रभु श्रीराम, नटराज के स्वरूप में विराजेंगे  श्री गणेश  

 

रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करने की तैयारियां अब अंतिम चरण पर है। मूर्तिकार जहां मूर्ति को अंतिम रूप दे रहे हैं वहीं गणित समिति के लोग अपने पंडाल को सुसज्जित करने में लगे हुए हैं । रायपुर में गणेश स्थापना की परंपरा लगभग 125 वर्षों से भी अधिक है। एक अनुमान के मुताबिक राजधानी के चौक-चौराहों पर छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 15 हजार से ज्यादा प्रतिमाएं स्थापित होती है।

 

रायपुर गणेश उत्सव के इतिहास में श्री गुढ़ियारी गणेश उत्सव समिति का महत्वपूर्ण स्थान है. इस समिति के पास सबसे बड़ी जगह गणेश उत्सव मनाने के लिए उपलब्ध है और लगभग 100 वर्षों से अधिक की गणेश उत्सव मनाने की परंपरा इस समिति के द्वारा निभाई जा रही है ।

 

        मूर्तिकारों के द्वारा भी गणेश की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है । मूर्तिकार उत्तम साहू ने बताया कि गणेश चतुर्थी नजदीक आ गई है, ऐसे में मूर्ति बनाने का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। उल्लेखनीय है कि मूर्तिकारों के द्वारा छोटे से लेकर बड़े साइज तक की मूर्तियां मांग के अनुरूप बनाई जा रही है । कोरोना काल में मूर्ति स्थापित करने के लिए बहुत सारे नियमों के साथ-साथ मूर्ति के आकार को भी निर्धारित किया गया था परंतु बाद के वर्षों में मूर्तिकार आम नागरिकों के मांग के अनुरूप मूर्ति बना रहे हैं। 

गणपति की मूर्ति में मूषक और हाथों में मोदक वाली मूर्ति को शुभ माना जाता है. जहां तक रंग की बात की जाए तो भगवान गणेश की सिंदूर रंग की प्रतिमा घर में स्थापित करने के लिए उत्तम माना गया है।

 

      देवपुरी के मूर्तिकार उत्तम साहू के द्वारा गणेश प्रतिमा को अलग-अलग स्वरूप दिया गया है। एक प्रतिमा में श्री गणेश यमदेव के रूप में दिखाई दे रहे हैं तो दूसरे मूर्ति में प्रभु श्री राम के रूप में उन्हें प्रदर्शित किया गया है। एक अन्य मूर्ति में श्री गणेश जी के पास चार बंदर मोदक लिए दिखाई दे रहे हैं । यह मूर्ति अभी अंतिम रूप नहीं लिया है। इसमें अभी कलर होना बाकी है।

श्रीगणेश का जन्म स्थान उत्तरकाशी जिले के डोडीताल को गणेशजी का जन्म स्थान माना जाता है। यहां पर माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर हैं जहां गणेशजी अपनी माता के साथ विराजमान हैं। डोडीताल, जो कि मूल रूप से बुग्‍याल के बीच में काफी लंबी-चौड़ी झील है, इसे श्री गणेश का जन्‍म स्थान बताया जाता है।

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जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

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