अक्ति पर्व को लेकर सज गया बाजार, रंग-बिरंगे गुड्डा गुड़िया
अक्ती का त्योहार , मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में जुटे कुम्हार परिवार
Khabar Yoddha kawardha।। छत्तीसगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी अक्षय तृतीया धूमधाम से मनाई जाएगी. छत्तीसगढ़वासी इसे अक्ति तिहार के रूप में भी मनाते हैं. अक्षय तृतीया में गुड्डा-गुड्डी (पुतरा-पुतरी) की शादी कराई जाती है । अक्षय तृतीया का पर्व शुक्रवार को है। एक ओर जहां अक्षय तृतीया (अक्ती) त्यौहार के पहले मिट्टी के बर्तनों से शहर से लेकर ग्रामीण अंचल के बाजार सज गए हैं। बढ़ती महंगाई ने त्योहारों को भी महंगा कर दिया है। मिट्टी के बर्तनों की कीमत अब की बार थोड़ी ज्यादा है। वहीं तपती दोपहरी में क्षेत्र के कुम्हार ग्राहक की तलाश में बाजार में बैठे नजर आ रहे हैं।
अक्ती यानि अक्षय तृतीया का त्यौहार मात्र एक दिन ही शेष है। इस दिन के लिए आवश्यकता पड़ने वाले सामानों को लेकर कुम्हारों ने अपने बाजार सजा लिये हैं। झुलसा देने वाली इस आग की तरह भारी गर्मी में भी इन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों को विलुप्त होने से बचाने का बीड़ा उठा कर रखा है। पेट की आग बुझाने के लिए कुम्हार इस झुलसा देने वाली गर्मी में भी ग्राहकों का इंतजार करते हैं।
मिट्टी के बर्तन का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी के बर्तन का विशेष महत्व है। गुड्डा-गुड़िया का विवाह भी बच्चे रचाते हैं, इसके लिए कवर्धा शहर से लेकर ग्रामीण अंचल के बाजार में कुम्हारों द्वारा चिलचिलाती धूप में पसरा लगाया जा रहा है। इस बार दुकान में दिया, कलश, धूपदान, गुड्डा गुड़िया और मिट्टी के घड़े लाए गए हैं। बढ़ती महंगाई और तालाबों से मिट्टी नहीं मिलने की वजह से कुम्हारों को इसे बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
गुड्डे-गुड़ियों का दाम इस बार 50 रुपये से लेकर 200 तक
कुम्हार परिवारों का कहना है कि इस चिलचिलाती गर्मी में उन्हें शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलती। छांव की व्यवस्था नहीं है। जिस प्रकार से अन्य बाजार व सामाजिक लोगों के लिए शेड व अन्य शासकीय योजनाओं की व्यवस्था की जाती है, वैसे ही कुम्हारों के लिए भी शेड बनाया जाए, जिससे उनका परंपरागत पेशा अच्छी तरीके से चल सके। गुड्डे-गुड़ियों का दाम इस बार 50 रुपये से लेकर 200 रुपये तक रखे गए हैं। आकर्षक और विशेष साज-सज्जा के साथ गुड्डा गुड़िया को बनाया गया है जो बच्चों को काफी पसंद आएगा।
अक्षय तृतीया के दिन बिना लग्न और मुहूर्त के होता है विवाह
मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ऐसे विवाह भी मान्य होते हैं, जिनका मुहूर्त साल भर नहीं निकल पाता। दूसरे शब्दों में ग्रहों की दशा के चलते अगर किसी व्यक्ति की विवाह का दिन नहीं निकल रहा है, तो अक्षय तृतीया के दिन बिना लग्न और मुहूर्त विवाह होने से उसका दांपत्य जीवन सफल हो जाता है। इसी कारण अन्य राज्यों में भी अक्षय तृतीया के दिन हजारों की संख्या में शादियां होती है। इस प्रकार पूरे क्षेत्र में त्योहार को मनाने की तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में बाजारों में मिट्टी के बर्तनों गुड्डे-गुड़ियों का बाजार सज गया है।