बिलासपुर नेशनल हाईवे पर रात का सफर बना खतरों भरा, बढ़ रहे हादसे
कवर्धा खबर योद्धा ।। बिलासपुर नेशनल हाईवे पर लगातार हो रही दुर्घटनाएं अब केवल संयोग नहीं, बल्कि गंभीर लापरवाही का परिणाम बनती जा रही हैं। खासकर रात के समय गन्ना से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में रेडियम संकेतक और चेतावनी चिन्ह न होने के कारण यह मार्ग अत्यंत खतरनाक बन चुका है। बीती रात एक ही समयावधि में दो अलग-अलग स्थानों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के पलटने की घटनाओं ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

एक में रात दो हादसे
रात करीब एक बजे जोराताल क्षेत्र में दोनों पेट्रोल पंपों के बीच गन्ना से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क पर खड़ी थी। पीछे से तेज रफ्तार ट्रक ने ट्रॉली को टक्कर मार दी, जिससे ट्रॉली पलट गई और गन्ना सड़क पर बिखर गया। ट्रक का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। कुछ ही समय बाद औद्योगिक क्षेत्र हरिनछपरा मोड के पास इसी तरह की दूसरी घटना हुई, जहां तकनीकी खराबी के कारण खड़ी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पीछे से आ रहे वाहन ने टक्कर मार दी। दोनों मामलों में जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन बड़ा हादसा होते-होते टल गया।

रेडियम संकेतक की कमी, हादसों की सबसे बड़ी वजह
स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अधिकांश ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में न तो रेडियम पट्टी लगी होती है और न ही पीछे चेतावनी त्रिकोण या संकेतक। रात के अंधेरे में तेज रफ्तार वाहन चालकों को यह ट्रॉलियां समय पर दिखाई नहीं देतीं। जैसे ही वाहन पास पहुंचता है, ब्रेक लगाने का मौका नहीं मिलता और टक्कर हो जाती है। यही कारण है कि इस हाईवे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली से जुड़े हादसे लगातार सामने आ रहे हैं।
गन्ना परिवहन का दबाव, खतरा कई गुना बढ़ा
वर्तमान में भोरमदेव शक्कर कारखाने तक गन्ना पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिन-रात इस मार्ग से गुजर रही हैं। तकनीकी खराबी, ओवरलोडिंग या चालक की थकान के कारण कई वाहन सड़क किनारे या मुख्य मार्ग पर ही खड़े हो जाते हैं। बिना रेडियम संकेतक और स्ट्रीट लाइट के ये वाहन चलते ट्रैफिक के लिए जानलेवा अवरोध बन जाते हैं।
स्ट्रीट लाइट और संकेत बोर्ड का अभाव
जोराताल से हरिनछपरा और आगे भोरमदेव शक्कर कारखाने तक कई हिस्सों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था बेहद कमजोर है। अंधेरे में सड़क, खड़े वाहन और तेज रफ्तार यह तीनों मिलकर दुर्घटना को न्योता देते हैं। यदि सड़क किनारे चेतावनी बोर्ड, खतरे के संकेत और रिफ्लेक्टिव साइन लगाए जाएं, तो काफी हद तक हादसों को रोका जा सकता है।
जागरूकता जरूरी, किसान और चालक दोनों जिम्मेदार
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि केवल प्रशासन नहीं, बल्कि किसानों और ट्रैक्टर चालकों को भी जागरूक होने की जरूरत है। ट्रैक्टर-ट्रॉली के पीछे रेडियम पट्टी, रिफ्लेक्टिव टेप और चेतावनी संकेत लगाना बेहद जरूरी है। खराबी की स्थिति में वाहन को मुख्य सड़क से हटाकर सुरक्षित स्थान पर खड़ा किया जाए और पीछे चेतावनी चिन्ह अवश्य लगाया जाए।
सख्त कार्रवाई और प्रचार की मांग
लोगों ने मांग की है कि बिना रेडियम संकेतक चलने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही इस मार्ग पर नियमित पुलिस गश्त, जागरूकता रैली, सड़क किनारे बैनर-पोस्टर और लाउडस्पीकर के माध्यम से संदेश प्रसारित किए जाएं, वाहन धीमे चलाएं, आगे खतरा है। स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि यदि अब भी सड़क सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह हाईवे हादसों का पर्याय बना रहेगा। रेडियम संकेतक, रोशनी और सावधानी यही तीन उपाय इस मार्ग को सुरक्षित बना सकते हैं। यह खबर केवल सूचना नहीं, बल्कि समय रहते चेतने की अपील है।
