February 16, 2025
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भोरमदेव मंदिर के शिखर पर दिखे नाग देवता, दर्शन पाने भक्तो की लगी लंबी भीड़

कवर्धा खबर योद्धा ।। आप लोगों ने पहले ही सुना होगा कि भोरमदेव मंदिर में नाग और नागिन रहते है । पर इसे देखा कुछ ही लोगो ने होगा । आज हमे एक वीडियो सोशल मीडिया से मिला जिसमे नाग देवता मंदिर के शिखर पर साफ तौर से दिखाई दे रहे है । नाग देवता के दर्शन के लिए भक्तो की भीड़ आचनक जमा हो गई । ऐसा पहिली बार देखा गया जब नाग देवता मंदिर के शिखर पर दिखे । लोगो का कहना है की इस मंदिर की सुरक्षा स्वयं नाग देवता कर रहे है । इसके साथ ही इस मंदिर के अनेक रहस्य आज भी बरकरार है ।

भोरमदेव मंदिर के विषय में कुछ जानकारियां

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर चौरागांव में स्थित भोरमदेव मंदिर जो लगभग एक हजार साल पुराना है । राजधानी रायपुर से इसकी दूरी लगभग 125 किलोमीटर है । भोरमदेव मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है, मंदिर को कृत्रिम रूप से पर्वत श्रृंखलाओं के बीच में बनाया गया है, ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 8वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था, भोरमदेव मंदिर की झलक konadak प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से मिलती जुलती है जिस वजह से इस मंदिर को “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” के नाम से भी जाना जाता है, ऐसी है मंदिर की बनावट:मंदिर की झलक में नागर शैली की शुंदर झलक भी दिखती है. मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की तरफ है ।

लेकिन मंदिर में दाखिल होने के तीन द्वार हैं,  मंदिर को जमीन से पांच फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है, जिसके तीनों प्रवेश द्वारों से सीधे मंदिर के मंडप तक पहुंचा जा सकता है । मण्डप के बीच में एक 4 खंभे हैं और मंदिर के चारों तरफ 12 खंभे हैंं, जिन पर मंदिर का मुख्य मंडप टिका हुआ है. मंदिर के सभी खंभों में बहुत ही सुंदर और कलात्मक ऐतिहासिक द्रश्य उकेरे गए हैं. प्रत्येक खंभे पर एक कीचा है, जिसने मंदिर की छत को संभालते रखा है ।

मंदिर को लेकर चलती है दंतकथा:भोरमदेव मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां के राजा ने इस मंदिर को 11वीं सदी में बनवाया था. ऐसी भी कहानी प्रचलित है कि नागवंशी राजा गोपाल देव ने इस मंदिर को एक रात में बनाने का आदेश  दिया था. मान्यता भी ऐसी है कि उस समय रात छह महीन लंबी होती थी. जिसके बाद छह महीने लंबा दिन होता था, कहा जाता है कि राजा के आदेश के बाद यह मंदिर एक रात में ही बन कर तैयार हो गया ।

भोरमदेव मंदिर से सबसे नजदीक राजधानी रायपुर का हवाई अड्डा है. जो भोरमदेव से करीब 130 किमी दूर है. अगर आप ट्रेन से भोरमदेव मंदिर पहुंचना चाहते हैं. तो इसके लिए भी यहां से सबसे नजदीक राजधानी रायपुर का रेल्वे स्टेशन है, जो यहां के करीब 120 किमी दूर है ।

बस रूट से भी कवर्धा  के कई बढ़े शहरों से जुड़ा हुआ है. कवर्धा सड़क मार्ग से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग शहर सहित अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर में भगवान शंकर जी के दर्शन के लिए देश विदेश के लोग बड़ी संख्या में आते है ।

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जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

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