मौत का वाटरफॉल बना रानीदहरा, फिर निगल गई एक जिंदगी

मौत का वाटरफॉल बना रानीदहरा, फिर निगल गई एक जिंदगी

तीन युवकों के बहने से फिर मचा हड़कंप, एक की मौत

कई घंटों बाद मिला एक लापता युवक 

 

कवर्धा खबर योद्धा ।। बोड़ला विकासखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रानीदहरा जलप्रपात में रविवार को एक और दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया। बाढ़ के तेज बहाव में तीन युवक बह गए, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है, एक युवक को ग्रामीणों ने बचा लिया, जबकि तीसरा अब तक लापता रहा जिसे देर शाम ढूंढ लिया गया है । इस घटना में एक मौत हुई है । 

 

 

 लगातार हो रही बारिश के कारण जलप्रपात में अचानक उफान आ गया और यह सुंदर स्थल एक बार फिर जानलेवा बन गया। बीते तीन वर्षों में यहां आठ लोगों की जान जा चुकी है, जिससे यह क्षेत्र अब मौत के वाटरफॉल के नाम से पहचाना जाने लगा है। बार-बार हो रही घटनाओं के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता और सुरक्षा उपायों की कमी चिंता का विषय बन चुकी है।

मुंगेली निवासी नरेंद्र पाल (45 वर्ष), पिता अवतार सिंह अपने साथियों के साथ रानीदहरा पहुंचे थे। बारिश के कारण अचानक आए बाढ़ के पानी में वे बह गए और डूबने से उनकी जान चली गई। सूचना पर पहुंची डॉयल 112 की टीम ने उनका शव बरामद किया। वहीं बेमेतरा जिले से आए दो युवक मोटर साइकिल से लौटते समय नाले में आई बाढ़ की चपेट में आ गए। एक युवक को खेत में काम कर रहे ग्रामीणों ने बहादुरी दिखाते हुए सुरक्षित बचा लिया, जिसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। जबकि दूसरा युवक लापता था जिसकी तलाश में पुलिस तथा गोताखोरों की टीम लगातार प्रयास कर रही थी आखिर देर शाम लापता युवक को ढूंढ लिया गया ।

 

यह हादसा कोई अपवाद नहीं, बल्कि उस लापरवाह तंत्र का परिणाम है जो चेतावनियों के बावजूद हर बार निष्क्रिय रहता है। अगस्त 2024 में डिप्टी सीएम अरुण साव के भांजे तुषार साहू, सितंबर 2024 में नागपुर निवासी अलफाज अंसारी, और सितंबर 2023 में राहुल ठाकुर व शुभम झरिया की इसी स्थान पर डूबकर मौत हो चुकी है। अब नरेंद्र पाल की मृत्यु और एक युवक के लापता होने की खबर ने दुख और डर दोनों को और गहरा कर दिया है।

 

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने रानीदहरा को मौत का जलप्रपात कहना शुरू कर दिया है। न चेतावनी बोर्ड, न सुरक्षा घेराबंदी, न कोई रेस्क्यू पोस्ट—प्रशासनिक लापरवाही हर दुर्घटना के पीछे मौन रूप से उपस्थित रहती है। हर वर्ष यहां जानें जाती हैं, लेकिन सीख नहीं ली जाती

जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

 
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