सावन माह में क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा, माता पार्वती से जुड़ा है रहस्य इस बार सावन में 4 मंगला गौरी व्रत एवँ 5 सोमवार का दुर्लभ संयोग
सावन माह में क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा, माता पार्वती से जुड़ा है रहस्य
इस बार सावन में 4 मंगला गौरी व्रत एवँ 5 सोमवार का दुर्लभ संयोग
कवर्धा खबर योद्धा ।। सावन माह भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। इस माह में शिव की पूजा करने से भक्तों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है। मन की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आखिर भगवान शिव को सावन मास ही प्रिय क्यों है।
सावन माह की शुरुआत के साथ ही भारत में त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। सावन का पूरा महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह में हर सोमवार को श्रद्धालु व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। सावन माह में हमें और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। पण्डित देव दत्त दुबे जी ने श्रावण मास के विषय में बताया कि श्रावण मास भगवान शिव की पूजा उपासना एवं उपवास के लिए है। भगवान शिव को श्रावण मास सर्वाधिक प्रिय है। सती ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपना शरीर होम करने के बाद जब उन्होंने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया तब उन्होंने श्रावण मास में भगवान शिव की विधिवत पूजा उपासना की थी। इसके कारण उन्होंने भगवान शिव को पुन: पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण भगवान शिव को यह मास बहुत प्रिय है। श्रावण में सोमवार का दिन तो भगवान शिव की पूजा का ही दिन है। श्रावण मास के प्रथम सोमवार से सोलह सोमवार तक व्रत करने पर मनोकामना की पूर्ति होती है।
इस सावन पाँच सोमवार का शुभकारी योग
इस साल श्रावण का महीना 22 जुलाई 2024 को शुरू होकर 19 अगस्त 2024 को समाप्त होगा। इस बार श्रावण के महीने में अद्भुत संयोग बन रहा है । श्रावण मास का आरंभ भी सोमवार से हो रहा है और सावन का अंतिम दिन भी सोमवार पड़ रहा है। इस बार श्रावण के महीने में 5 सोमवार पड़ रहे हैं । सावन माह में पांच सोमवार पड़ना बहुत शुभ माना जाता है।
श्रावण मास का हर दिन अत्यंत फलदायी होता है, इसमें पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक सभी मनोरथों को पूर्ण करता है लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रावण सोमवार का व्रत रखता है , अभिषेक करता है उसका पारिवारिक जीवन सदैव सुखी रहता है। साथ ही उस व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का कभी अभाव नहीं रहता। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं । इसके अलावा श्रावण सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। और कुंडली में समस्त अरिष्ट नष्ट हो जाते हैं।धन, ध्यान, आयुष्य की वृद्धि होती है।
सावन का पहला सोमवार व्रत – 22 जुलाई, 2024
सावन का दूसरा सोमवार व्रत – 29 जुलाई, 2024
सावन का तीसरा सोमवार व्रत – 5 अगस्त, 2024
सावन का चौथा सोमवार व्रत – 12 अगस्त, 2024
सावन का पांचवां सोमवार व्रत – 19 अगस्त, 2024
श्रावण मास के मंगलागौरी व्रत
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत- 23 जुलाई, 2024
सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत- 30 जुलाई, 2024
सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत- 6 अगस्त, 2024
सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत- 13 अगस्त, 2024
सावन महीने की शिवरात्रि बहुत खास होती है. हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 को सावन महीने की शिवरात्रि पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरम्भ 2 अगस्त को दोपहर 3:26 बजे से होगा और 3 अगस्त को दोपहर 3:50 बजे समाप्त होगा। भगवान शिव की पूजा निशित काल में की जाती है इसलिए सावन की शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाएगी।
सावन का महीना ही शिव जी को इतना अत्यधिक प्रिय क्यों है
सावन का महीना आते ही हर तरफ भोलेनाथ के जयकारे लगने लगते हैं। क्या घर, क्या शिवालय हर जगह वातावरण भक्तिमय हो जाता है। प्रकृति में भी हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है। यानी कि ये कहें कि सावन मतलब प्रेम और भक्ति से भरा महीना है तो गलत नहीं होगा। लेकिन क्या आपके मन में कभी यह सवाल उठता है कि शिवजी को यही महीना इतना पसंद क्यों है और इस महीने में अगर शिव जी की विधि पूर्वक नियमित पूजा की जाये तो उसके क्या फ़ल मिलते हैं तो आईये जानते हैं पण्डित देव दत्त दुबे जी से
सावन सोमवार व्रत से मिलते हैं अनोकों लाभ
यूँ तो प्रत्येक सोमवार का अपना महत्व है लेकिन सावन के सोमवार का व्रत करने से अपार लाभ मिलता है। मान्यता है कि सावन में शिवजी की आराधना और सोमवार व्रत करने से वह अत्यंत शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार का व्रत करने से, पुत्र की इच्छा करने वाले को पुत्र, विद्यार्थी को विद्या, धनार्थी को धन, मोक्ष चाहने वालो को मोक्ष, कुंवारी कन्या को मनोनुकूल पति और सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सावन में किस विधि से कैसे करें शिव जी का पूजन
जो मनुष्य बेलपत्र से शिव पूजन करता है उसकी दरिद्रता दूर हो जाती है।
-पार्थिव लिंग की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
-भविष्यपुराण के अनुसार जो मनुष्य एक बार ही धतूरे के फल से शिवलिंग की पूजा करते है। वह गोदान का फल प्राप्त कर शिवलोक में जाते हैं।
-चांदी से निर्मित शिवलिंग की पूजन कीर्ति प्रदान करता है।
-कांसे और पीतल की शिवलिंग की पूजा से सुखों में वृद्धि होती है।
-शीशे के निर्मित शिवलिंग शत्रु के नाश में सहायता करता है।
-अष्टधातु से निर्मित शिवलिंग की पूजा अनेक सिद्धियों की प्राप्ति करता है।
-पारस के निर्मित शिवलिंग का पूजन अपार धन,वैभव,विद्या और महान ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है।
-कपूर से निर्मित शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।
-नवनीत अर्थात मक्खन से निर्मित शिवलिंग सौभाग्य की प्राप्ति कराकर चक्रवर्ती बनाता है।
सावन में नियमित रुप से ऐसे करें शिव जी पूजन
सावन में नियमित सुबह-सवेरे नित्य कर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाएं। वहां शिवलिंग पर सबसे पहले जल चढ़ाएं। इसके बाद कच्चा दूध चढ़ाएं। फिर गन्ने का रस चढ़ाएं साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। मंत्र का उच्चारण आप अपनी श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या फिर 108 बार कर सकते हैं।
इसके बाद ‘रूप देहि जयं देहि भाग्यं देहि महेश्वर:। पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान्कामांशच देहि मे।।’
मंत्र का जप करें। साथ ही शिवलिंग पर पुन: जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, अक्षत, धतूरा, आंकड़े का फूल और बेल पत्र चढ़ाएं फिर धूपबत्ती और दीपक जलाएं। इसके बाद भोलेनाथ की आरती करें।
स्वयं शिव जी ने बताई है श्रावण मास की महिमा
सावन का महीना ही एक ऐसा महीना होता है जिस दौरान सबसे अधिक वर्षा होती है जो शिवजी के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है। सावन महीने की महिमा भोलेनाथ ने भी बताई है। धर्मशास्त्रों के अनुसार शिवजी के तीनों नेत्रों में सूर्य दाएं, बांये चंद्र और अग्नि मध्य नेत्र है। जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीने की शुरुआत होती है। सूर्य गर्म है जो उष्मा देता है जबकि चंद्रमा ठंडा है जो शीतलता प्रदान करता है। इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से खूब बरसात होती है। जिससे लोक कल्याण के लिए विष को पीने वाले भोले को ठंडक व सुकून मिलता है। इसी कारण शिव जी को सावन अत्यधिक प्रिय है।
इसलिये विशेष है श्रावण मास व्रत एवँ सोमवार व्रत
सावन मास में व्रत का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि कुंवारी कन्या यदि इस पूरे महीने व्रत रखती हैं तो उन्हें मनपसंद जीवनसाथी मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती जब बिन बुलाए अपने पिता दक्ष के यज्ञ आयोजन में पहुंची तो वहां सभी ने उनका अपमान किया। इसे तो उन्होंने सह लिया लेकिन जब उन्होंने पिता द्वारा अपने पति का अपमान होता देखा तो आत्मदाह कर लिया। इसके बाद देवी सती ने पार्वती रूप में जन्म लिया और शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए सावन सोमवार व्रत सहीत श्रावण मास का व्रत किया। कहते हैं कि इसी व्रत के प्रभाव से माता पार्वती को भोलेनाथ प्राप्त हुए।
पूजन पश्चात आरती पढ़ने के बाद पढ़ें यह मंत्र
आरती पढ़ने के बाद
कपूर्रगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारं।
सदा वसंत हृदयाविंदे भंव भवानी सहितं नमामि।।
इस मंत्र का पांच बार पाठ करें।
अंत में भोले भंडारी से प्रार्थना करें कि वह आपके समस्त कष्टों को दूर करें और सुख-समृद्धि का वरदान दें। ध्यान रखें कि पूजा करते समय मन में किसी भी तरह का छल-कपट या फिर किसी भी व्यक्ति के प्रति ईर्ष्या-द्वेष न लेकर आएं। सच्चे मन से शिव की पूजा करें। वह जीवन में आने वाली सारी परेशानियों को दूर कर देते हैं।
पण्डित देव दत्त दुबे
सहसपुर लोहारा