एयर – कंडीशन = लाभ नहीं किसानों को बैठे सीढ़ियों पर बलराम सदन में हमेशा लटकता रहता है ताला

एयर – कंडीशन = लाभ नहीं किसानों को बैठे सीढ़ियों पर

बलराम सदन में हमेशा लटकता रहता है ताला

सीढ़ियों पर बैठकर समय गुजारने को मजबूर अन्नदाता

कवर्धा खबर योद्धा।। जिले के किसानों की सुविधा और सम्मान को ध्यान में रखते हुए तहसील कार्यालय परिसर में लाखों रुपये की लागत से निर्मित बलराम सदन किसान रेस्ट हाउस फिलहाल अपने उद्देश्य से भटका हुआ नजर आ रहा है। शासन की मंशा थी कि दूर-दराज के गांवों से तहसील कार्यालय आने वाले किसानों को बैठने, विश्राम करने और जरूरी सुविधाएं मिल सकें, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसानों को अपने नाम से बने इस रेस्ट हाउस का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ताला बंद भवन, बाहर बैठे किसान

तहसील कार्यालय पहुंचने वाले किसानों का कहना है कि बलराम सदन किसान रेस्ट हाउस में अधिकांश समय ताला लटका रहता है। ऐसे में यदि कोई किसान अपने कामकाज के बीच कुछ देर आराम करना चाहे या शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा का उपयोग करना चाहे, तो उसे निराशा ही हाथ लगती है। मजबूरी में किसान उसी भवन की सीढ़ियों पर बैठकर घंटों समय गुजारते नजर आते हैं। किसानों का सवाल है कि जब यह भवन उनके लिए बनाया गया है, तो फिर इसके दरवाजे उनके लिए खुले क्यों नहीं रहते।

किसानों की मांग: कार्यालयीन समय में रहे खुला

किसानों ने साफ कहा कि यदि बलराम सदन वास्तव में किसानों की सुविधा के लिए बनाया गया है, तो इसे कार्यालयीन समय और दिवस में अनिवार्य रूप से खुला रखा जाना चाहिए। किसानों का कहना है कि दूर-दराज से आने वाले लोगों के लिए तहसील परिसर में बैठने की समुचित व्यवस्था न होना पहले से ही परेशानी का कारण रहा है। अब जब सुविधा उपलब्ध कराई गई है, तो उसका बंद रहना समझ से परे है। किसानों ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर इस भवन की जिम्मेदारी किस अधिकारी या कर्मचारी को दी गई है, जो इसमें नियमित रूप से ताला लगाकर रखता है।

प्रदेश का पहला बलराम सदन, लेकिन उपयोग शून्य

यह उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय कवर्धा के तहसील कार्यालय परिसर में बना बलराम सदन किसान रेस्ट हाउस प्रदेश का पहला ऐसा रेस्ट हाउस है। करीब 15 लाख रुपये की लागत से निर्मित यह भवन सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें एयर कंडीशन युक्त कक्ष, ठंडे पेयजल के लिए वाटर कूलर, टीवी, स्वच्छ शौचालय, बैठने की आरामदायक व्यवस्था, साफ-सफाई और जल सुविधा उपलब्ध कराई गई है। लोकार्पण के समय यह तर्क दिया गया था कि जिले में कामकाज के सिलसिले में आने वाले किसानों को ठहरने और विश्राम की सुविधा मिलेगी।

मंशा स्पष्ट, अमल में चूक

हाल ही में इस रेस्ट हाउस का लोकार्पण उप मुख्यमंत्री एवं कवर्धा विधायक विजय शर्मा द्वारा किया गया था। किसानों का कहना है कि शासन और जनप्रतिनिधियों की मंशा पर उन्हें कोई संदेह नहीं है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह सुविधा अनुपयोगी बनी हुई है। लाखों रुपये की लागत से बना यह भवन आज किसानों को सुविधा देने के बजाय उन्हें मुंह चिढ़ाता प्रतीत हो रहा है।

 

प्रशासन से उम्मीद

किसानों ने प्रशासन से अपेक्षा जताई है कि बलराम सदन किसान रेस्ट हाउस को नियमित रूप से खुलवाया जाए और इसकी स्पष्ट जिम्मेदारी तय की जाए। ताकि यह भवन वास्तव में अपने नाम और उद्देश्य को सार्थक कर सके और किसानों को वह सम्मान और सुविधा मिल सके, जिसके लिए इसका निर्माण किया गया है।

जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

 
error: Content is protected !!