नागों का वरदान ग्राम डिघारी को प्रदान न सर्प इंसान को डसते न इंसान सर्प को मारते
नागों का वरदान ग्राम डिघारी को प्रदान
न सर्प इंसान को डसते न इंसान सर्प को मारते
नाग पंचमी पर स्पेशल स्टोरी खबर योद्धा 9/08/2024
रायपुर खबर योद्धा विशेष रिपोर्टिंग।। राजधानी के आरंग से 12 km की दूरी पर एक गांव है डिघारी। आपको जानकर हैरानी होगी कि डिघारी गांव की सीमा के भीतर किसी को सांप नहीं काटता और इस गांव के ग्रामीण भी सांप को नहीं मारते और सर्पों किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि उनकी पूजा करते हैं। सर्पो के लिए आस्था ऐसी कि गांव में नागदेवता का मंदिर भी बनाया गया है। नागपंचमी के दिन ग्रामीण सारे कामकाज बंद रखकर नागदेवता की सामूहिक पूजा करते हैं।
इंसान और सांपों के बीच यह रिश्ता कब और कैसे बना इसके पीछे किवदंती है कि किसी जमाने में इस गांव के पोहकल नामक ब्राह्मण ने स्वप्न देखा था कि एक सर्प के मुंह में कांटा फंस गया है। वह दर्द से व्याकुल है और कांटा निकालने का आग्रह कर रहा है।
नींद टूटी तो घर में तुलसीचौरा के पास ब्राह्मण एक नाग को बैठा पाया। उसने सांप के मुंह से कांटा निकालकर कष्ट से मुक्ति दिलाई तब नागराज ने आशीर्वाद दिया कि इस गांव में कभी किसी को सांप नहीं काटेगा। उस दिन से डिघारी गांव के बासिंदे सांपों को मारना बंद कर दिए।
किवदंती के चलते बने इस जज्बाती रिश्ते को झुठलाने का प्रयास दोनों में से किसी पक्ष ने अब तक नहीं किया है। इस ग्राम की कई पीढियां गुजर गई पर आज तक सर्पों द्वारा किसी इंसान को काटने अथवा किसी इंसान द्वारा किसी सर्प को नुकसान पहुंचाए जाने की शिकायत नहीं मिली है। सर्पों और ग्रामवासियों के बीच विश्वास का रिश्ता इतना मजबूत हो चला कि अब तो ग्राम के नौनिहाल भी निकल आने वाले सर्पों को अपने ग्राम की सीमारेखा के बाहर छोड़ आते हैं।