हमे गर्व है अपने पुरखों पर , देश को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका निभाई
हमे गर्व है अपने पुरखों पर , देश को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका निभाई
आप सबको 78 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाईयां।
कवर्धा खबर योद्धा ।। जब देश अंग्रेजों का गुलाम था तब स्वतंत्रता के लिए भारत का हर शहर,गांव, मंजरे, टोले सभी जगह से अंग्रेजी शासन के दमनकारी नीति के विरोध में सब ओर आक्रोश के स्वर फूटने लगे थे।आजादी के आंदोलन में हर कोई अपना कर्तव्य निभाना चाहता था।तब भला कवर्धा रियासत की राष्ट्रवादी जनता इससे अलग कैसे रह सकती थी।
बात कवर्धा रियासत के झिरौनी गांव के स्व.तखतसिंह चंद्रवंशी के सुपुत्र द्वय स्व.गणपत सिंह एवम स्व.फत्तेसिंह बनारस हिंदू वि. वि. में पढ़ रहे थे, उसी समय सन 1920 में महात्मा गांधी बनारस आए, दोनों भाइयों ने छात्र स्वयं सेवक की हैसियत से उनका स्वागत स्टेशन पर किया तथा कांग्रेस के सभी कार्यक्रमों में भाग लिया।तभी से उनमें देशप्रेम की भावना जागृत हुई और वे खुल कर स्वराज्य आंदोलन में भाग लेने लगे।
प्रथम असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर 1921में नागपुर में भाग लिया था।बाद में कवर्धा आकर सन 1922में 8अप्रैल की रात्रि में स्व गणपत सिंह चंद्रवंशी ने पिपरिया के निकट ग्राम झिरना के नर्मदा कुंड के पास अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कवर्धा रियासत के अंतर्गत “स्वराज्य प्राप्ति समिति” का निर्माण किया था।
उनके प्रमुख सहयोगियों में –
श्री नगराज सेठ, श्री सुगन सिंह ठाकुर, श्री गब्दू ताम्रकार, श्री देवनाथ ठेठवार कवर्धा, श्री ठाकुर जोधन सिंह नेवारी,श्री टीकाराम चन्द्रवंशी,श्री बोधी पनका डेहरी,श्री जीवन चन्द्रवंशी लखनपुर, श्री मुकुंदी चन्द्रवंशी परसवारा,श्री रामप्रसाद चन्द्रवंशी सिल्हाटी,पंडित जनक प्रसाद तिवारी गांगचुवा, पंडित घासीराम पाठक लघान, पंडित रामदुलारे पाण्डेय लासाटोला,श्री उत्तमदास बैरागी बंदौरा, श्री महादेव कलार सुकुवापारा, श्री पंचम साहू रूसे, श्री मायाराम चन्द्रवंशी,पंडित पचकौड़ प्रसाद खपरी, श्री अब्दुल जब्बार, श्री श्याम लाल सतनामी छिरहा, श्री बनिया सतनामी पनेका,बिसाहू लोधी बहरमुडा, रघुवर चंद्रवंशी डौकाबांधा, रामभरोस चंद्रवंशी परसवारा कर्मठ सदस्य थे
। स्व गणपत सिंह जी सन 1925से लेकर 1933मृत्यु पर्यन्त पंडित रविशंकर शुक्ल, डा खूबचंद बघेल,ठाकुर प्यारेलाल,स्वर्गीय तामस्कर जी के साथ आंदोलन से जुड़े रहे बाद में उनके अनुज स्व. फत्तेसिंह ने समिति के कार्य को आगे बढ़ाया।(स्रोत:~श्री जगदीश चंद्रवंशी का लेख)
यदि हम अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बात करें तो पंडरिया रियासत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पूरन लाल ओझा की जानकारी श्री रघुनंदन पाठक के लेख से प्राप्त हुईं।इसी तरह कवर्धा रियासत के स्व.लालमणि तिवारी चचेड़ी की जानकारी मुझे उनके परिवार से प्राप्त हुई जिसे जन सामान्य को जानना चाहिए।आइए जानते हैं कि इन्होंने किस तरह आंदोलनों में भाग लिया।
“स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पूरन लाल ओझा”
स्व.पूरन लाल ओझा ने 8अगस्त 1942 को गाँधी जी द्वारा चलाये गये भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रियता से भाग लिया और जेल भी गये। स्व.पूरन लाल और झूरन लाल के पिता स्व.नरोत्तम लाल ओझा एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण थे। पूरन लाल का जन्म 1910 में हुआ।1919में मिडिल पास कर आसानी से शिक्षक बन जाते लेकिन इनके मन में राष्ट्रप्रेम और आजादी की भावना के चलते 13 अप्रेल 1930 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया।1940में पूर्व महाकौशल प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के प्राथमिक सदस्य बने।32वर्ष की आयु में महात्मा गाँधी के द्वारा चलाए अंग्रेजों भारत छोड़ो,करो या मरो के आह्वान पर कूद पड़े।
उस समय 1942में गांधी के आह्वान पर आन्दोलनकारियों को खादी पहनना पहचान बन गई थी इस कार्य से क्रुद्ध अंग्रेज खादी पहनने वालों को जेल में डाल देते थे ऐसी परिस्थिति में कई कर्णधारों ने भय के कारण खादी त्याग दी,वहीं पूरन लाल ने साहसपूर्वक ब्रिटिश मनसूबों पर पानी फेरते हुए खादी वस्त्र त्यागने से इनकार कर दिया और खादी वस्त्र पहनकर स्वतन्त्रता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध खुलकर पर्चे बांटे जिसके लिए इस देशभक्त को कारावास की सजा दी गई।
15अगस्त 1947को देश स्वतंत्र हुआ उस समय महाकौशल प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के सभापति सेठ गोविन्ददास जबलपुर द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध स्वातन्त्र्य संग्राम में सक्रिय योगदान के लिए सम्मान में हस्ताक्षर युक्त ताम्र पत्र दिया गया।सन 1960 में इस निर्भीक एवं समर्पित स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी का 50वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया।
“स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.लालमणि तिवारी”
कवर्धा तहसील के ग्राम चचेड़ी के माल गुजार के यहाँ 12नवम्बर 1920 को जन्म लेने वाले बालक के चौड़े ललाट और गौर वर्ण को देखकर माता-पिता ने लालमणि नाम रखा।उन्हें यह अनुमान ही नही था कि आगे चलकर स्वतन्त्रता आन्दोलन में मणि और भारत के लाल की तरह दैदीप्यमान होगा।
आपकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम चचेड़ी की पाठशाला में 4थी हिंदी तक हुई,बाद में 1931 में रायपुर के सेंटपाल स्कूल में प्रवेश लिया। वह मूवमेंट का दौर था उस समय वहाँ क्रान्तिकुमार भारतीय,मोहनलाल पाण्डेय आदि बैठा करते थे तथा देश की आजादी पर चर्चा करते थे,इससेआप प्रेरित होकर आरंभिक अवस्था में ही गाँधी-प्रेरित आन्दोलन में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में दीक्षा ली और खादी वस्त्र अपना ली।
सन1942 के आन्दोलन में गाँधी जी की गिरफ्तारी की ख़बर चौधरी नीतिराज सिंह के यहाँ रेडियो पर सुनी,नरसिंहपुर के सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गये। इधर छत्तीसगढ़ में शुक्ल जी वगैरह गिरफ्तार हुए,इस स्थिति में श्री तिवारी जी ने गुप्ता बुक डिपो से स्टेशनरी की व्यवस्था कराकर रातोंरात पाम्पलेट तैयार कर बंटवाया और जुलूस निकाल जिसमें बालाप्रसाद पचौरी वकील,लक्ष्मीप्रसाद मिश्रा जैसे बड़े नेता शामिल हुए।
” आजादी के लिए प्रजामंडल का गठन1945-46″
अखिल भारतीय कांग्रेस के आह्वान पर देश के समस्त देशी रियासतों में “प्रजा मंडल”की स्थापना की गई थी। कवर्धा रियासत के अंतर्गत स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु सन् 1945 46में प्रजामंडल संस्था की स्थापना स्वराज्य प्राप्ति समिति कवर्धा के सदस्य पंडित रामदुलारे पांडेय की सुपुत्री महिला नेत्री श्रीमती तारा पांडेय ने किया था। इसके सदस्य स्व चतुर सिंह चंद्रवंशी झिरौनी, स्व हमीदउल्लाह खान, स्व नरेंद्र सिंह परिहार, स्व चंपालाल लूनिया, स्व नेमसिंह, स्व.चुन्नी भाई देसाई,देवनारायण दानी,नेमीचंद लूनिया,स्व भूखनलाल श्रीवास्तव, मधुरसिंह पाली, स्व रतनचंद बैद पिपरिया कवर्धा,पं.श्यामप्रसाद अवस्थी पोड़ी, स्व हनुमान प्रसाद चौबे महाराजपुर,पंडित रामजी, मयाप्रसाद चंद्रवंशी,मुखीराम चंद्रवंशी, प्रमुख थे।
इस तरह हम देखते हैं कि पिछड़ा क्षेत्र होने के बावजूद कवर्धा अंचल आजादी की लड़ाई में कहीं से भी पीछे नहीं रही है। हमें अपने पुरखों पर गर्व है कि उन्होंने देश को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका निभाई और हमें गौरवान्वित होने का अवसर दिया।आप सभी पूर्वजों को शत शत नमन।मेरा एक सुझाव भी है कि क्यों न इन महानुभावों को सम्मान देते हुए ये जिस गांव या शहर के हैं वहां के स्कूल को इनका नाम दिया जाए।
आदित्य कुमार श्रीवास्तव
राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक
सदस्य जिला पुरातत्व समिति