कवर्धा जिले में दीपावली के अवसर पर छत्तीसगढ़ी सुआ नृत्य की धूम गांव-गांव में गूंज रहे पारंपरिक सुआ गीत, घर-घर में दिखा अनोखा आयोजन
कवर्धा जिले में दीपावली के अवसर पर छत्तीसगढ़ी सुआ नृत्य की धूम
गांव-गांव में गूंज रहे पारंपरिक सुआ गीत, घर-घर में दिखा अनोखा आयोजन
कवर्धा खबर योद्धा।। जिले में दीपावली के अवसर पर छत्तीसगढ़ी परंपरा और लोक संस्कृति के प्रतीक सुआ नृत्य का उत्साह चरम पर है। इस पारंपरिक नृत्य में गोंड समाज की बालिकाओं और महिलाओं द्वारा गांव-गांव और घर-घर जाकर मनमोहक सुआ नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही है। इस अवसर पर हर घर में दीपावली का उल्लास है, और सुआ नृत्य की अनोखी छटा पूरे जिले में छाई हुई है।
सुआ नृत्य: छत्तीसगढ़ की अनमोल परंपरा
दीपावली के अवसर पर सुआ नृत्य का आयोजन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करता है। गोंड समाज की महिलाएं और बालिकाएं टोकरी में सुआ (तोता) प्रतीक रखकर पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह नृत्य केवल मनोरंजन नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देता है, जिसमें प्रेम, सौहार्द्र और सामुदायिक एकता की भावना झलकती है।
गांव-गांव में गूंजते सुआ गीत
इस बार कवर्धा जिले के विभिन्न गांवों जैसे सिंहनपुरी, सारंगपुर, खुर्द और बाझीमौहा की टोली ने एकत्र होकर सुआ नृत्य का आयोजन किया है। दीपावली के पांच दिनों तक, ये महिलाएं और बच्चियां हर घर जाकर गीतों के माध्यम से सुआ का संदेश दे रही हैं। सुआ गीतों की मादक धुन और नृत्य में झलकती ऊर्जा हर किसी का मन मोह रही है।
घर-घर में नृत्य के साथ दान देने की परंपरा
सुआ नृत्य के दौरान, दर्शक नृत्य करने वालों को दान भी देते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह लोगों के बीच प्रेम, सहयोग और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ावा देती है। इस वर्ष दीपावली पर भी लोगों ने उत्साहपूर्वक इस परंपरा को अपनाया है, और बड़े-बुजुर्गों के साथ-साथ युवाओं ने भी अपनी भागीदारी दिखाई है।
पारंपरिक लोककला को सहेजते गोंड समाज के नौनिहाल
कवर्धा के गोंड समाज के बच्चों और युवाओं में भी इस पारंपरिक कला के प्रति गहरी रुचि देखने को मिली है। उन्होंने टोली बनाकर नृत्य और गीत की शानदार प्रस्तुति दी, जिससे इस लोक कला का संरक्षण और प्रचार-प्रसार हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में दर्शक सुआ नृत्य को देखकर उत्साहित हैं और अपने तरीके से इस कला का सम्मान कर रहे हैं।
दीपावली पर छत्तीसगढ़ी परंपरा की अद्वितीय प्रस्तुति
दीपावली पर सुआ नृत्य की यह परंपरा कवर्धा जिले में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सजीव बनाए हुए है। हर कोई इस नृत्य का आनंद ले रहा है और पारंपरिक गीतों के माध्यम से जुड़ रहा है। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, जो गोंड समाज की सांस्कृतिक धरोहर का अनमोल हिस्सा है।
जिले में सांस्कृतिक आयोजनों की छटा
कवर्धा के ग्रामीण अंचलों में इस दीपावली पर पारंपरिक सुआ नृत्य की यह अनोखी छवि न केवल मनोरंजन है, बल्कि यह जिले की सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजने का प्रतीक है।