कवर्धा में 15 दिन के मासूम को लेकर कलेक्टर कार्यालय के बाहर बैठी मां पर पट हो गए बंद ,अब कल का इंतजार, कोई तो सुने साहब
धमकियों से डरा परिवार, लोहारीडीह जैसी चेतावनी का दावा
कलेक्टर कार्यालय का दरवाजा निश्चित समय पर बंद हो गया 15 दिन के मासूम को लेकर गुहार लगा रही मां, अब भी इंतजार में बैठी
धरने पर मां की गोद में 15 दिन का मासूम: निजी जमीन पर सड़क निर्माण के विरोध में कलेक्टर कार्यालय पहुंचा डरा-सहमा परिवार
दोपहर 1 बजे से रात तक इंसाफ की आस में बैठा रहा साहू परिवार, अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद काम जारी होने का आरोप
कवर्धा खबर योद्धा।।कबीरधाम जिले में न्याय की आस लिए एक परिवार ने जो पीड़ा झेली, वह न केवल सिस्टम की खामोशी को उजागर करती है, बल्कि संवेदनाओं को झकझोर कर रख देती है। बोड़ला विकासखंड के सिंधनपुरी गांव से आया साहू परिवार शुक्रवार को दोपहर 1 बजे अपने 15 दिन के मासूम को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। कारण था—उनकी निजी जमीन पर जबरन बनाई जा रही सड़क, जिसे लेकर परिवार ने पहले भी तहसील कार्यालय में शिकायत की थी। कार्रवाई न होने पर अब वह पूरे परिवार के साथ धरने पर बैठ गया।
धरने की सबसे मार्मिक तस्वीर उस मां की थी, जो अपनी गोद में 15 दिन के मासूम को लिए दिनभर धूप और रातभर खुले आसमान के नीचे बैठी रही। यह दृश्य न केवल प्रशासन के संवेदनहीन रवैये पर सवाल उठाता है, बल्कि आमजन की बेबसी को भी बयां करता है।
कलेक्टर कार्यालय बना आसरा, पर सुनवाई नहीं

परिवार के मुताबिक, जिस जमीन पर सड़क बनाई जा रही है वह उनकी 98 डिसमिल की पुश्तैनी निजी जमीन है। आरोप है कि गांव के पूर्व सरपंच के परिजन दबाव बनाकर इस जमीन पर कब्जा कर रहे हैं और निर्माण कार्य थोप रहे हैं। इस मामले की शिकायत पीड़ित ने 10 दिन पहले तहसील कार्यालय में भी की थी, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आखिरकार शुक्रवार को परिवार ने कलेक्टर कार्यालय की शरण ली, उम्मीद थी कि जिले के शीर्ष अधिकारी उनकी आवाज सुनेंगे। लेकिन दोपहर से शाम और फिर रात हो गई, अधिकारी चले गए, पर परिवार को न कोई जवाब मिला, न राहत।

डीएसपी-तहसीलदार पहुंचे, पर पीड़ा बनी रही
जब रात तक परिवार डटा रहा, तो कवर्धा के तहसीलदार और डीएसपी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण का कार्य फिलहाल रोक दिया गया है। लेकिन साहू परिवार ने तुरंत मोबाइल निकालकर सीसीटीवी फुटेज दिखाई और कहा—”सर, देखिए, अभी भी निर्माण चल रहा है।”
धमकियों से डरा परिवार, लोहारीडीह जैसी चेतावनी का दावा
परिवार ने बताया कि उन्हें लोहारीडीह जैसी घटना की धमकी दी गई है—”चुप नहीं हुए तो जान से जाएंगे।” इस बात ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है। अब इस डरे-सहमे परिवार को उम्मीद है कि जिला प्रशासन उनकी बात सुनेगा और उन्हें न्याय दिलाएगा।
मासूम के साथ धरने पर बैठी मां बनी पीड़ा की प्रतीक
धरने पर बैठी महिला ने बताया—”मासूम सिर्फ 15 दिन का है। पर क्या करूं, हमारी जमीन छीन ली जा रही है। इंसाफ के लिए मासूम को लेकर यहां बैठना मेरी मजबूरी है।”
अब सवाल प्रशासन से
जब सीसीटीवी के सबूत के बावजूद अधिकारी ‘काम रुक गया’ कहते हैं, तो क्या यह आंख मूंद लेने की नीति है? क्या प्रशासन इतनी देर तक परिवार को अनदेखा करता रहा? और क्या किसी मां को अपने नवजात मासूम के साथ सड़क पर बैठने के लिए मजबूर कर देना लोकतंत्र की असफलता नहीं?
फिलहाल समाचार लिखे जाने तक साहू परिवार अपने 15 दिन के मासूम सहित कलेक्टर कार्यालय पर बैठा था, उम्मीद के साथ कि शायद अब कोई उनकी भी सुने।
