बच्चों को प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाने जा रहे तो रखे इस बात का विशेष ध्यान कवर्धा में शिक्षा की गुणवत्ता पर उठा सवाल बिना मान्यता के संचालित स्कूल, बच्चों का भविष्य अधर में—शिक्षा विभाग अब लेगा खबर

बच्चों को प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाने जा रहे तो रखे इस बात का विशेष ध्यान
कवर्धा में शिक्षा की गुणवत्ता पर उठा सवाल
बिना मान्यता के संचालित स्कूल, बच्चों का भविष्य अधर में—शिक्षा विभाग अब लेगा खबर
कवर्धा खबर योद्धा।। शिक्षा के क्षेत्र में कवर्धा जिले से निकल कर आ रही यह खबर चौंकाने वाली है। जिलामुख्यालय सहित कई स्थानों पर वर्षों से कुछ निजी स्कूल बिना किसी मान्यता और स्वीकृति के संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में न केवल नियमों की अनदेखी हो रही है, बल्कि बच्चों के भविष्य की बुनियाद भी अनजाने खतरे में पड़ती जा रही है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि जिला शिक्षा कार्यालय के पास भी इन स्कूलों की स्थिति को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं क्या नहीं है ?।
जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी वाई. डी. साहू से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है और अब इसकी जांच कराई जाएगी।
मान्यता नहीं – फिर भी चल रहा संचालन
शहर और उसके आसपास के कुछ स्कूल ऐसे हैं, जो किसी भी बोर्ड की मान्यता के बिना शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। न भवन की मानक स्थिति, न योग्य शिक्षक, न पंजीयन और न ही नियमानुसार फीस संरचना—फिर भी ये स्कूल बड़े नामों के साथ अभिभावकों को आकर्षित कर रहे हैं।
अभिभावक के अनभिज्ञता का दुष्परिणाम
अभिभावकों को अक्सर यह अंदाजा नहीं होता कि वे जिन स्कूलों में अपने बच्चों को भेज रहे हैं, वह मान्यता प्राप्त है भी या नहीं। जब प्रमाणपत्र, छात्रवृत्ति या अन्य आवश्यक दस्तावेजों की बात आती है, तब कई बार सामने आता है कि स्कूल की स्थिति ही संदिग्ध है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा
वाई. डी. साहू, जिला शिक्षा अधिकारी, कवर्धा
आपके माध्यम से यह जानकारी सामने आई है। हम इस विषय को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही एक जांच टीम गठित करेंगे। जिले में संचालित सभी निजी स्कूलों की मान्यता की स्थिति की जांच की जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सवाल यह है कि ऐसे स्कूल कैसे चल रहे ?
हर साल नए-नए स्कूल खुलते हैं। कुछ मान्यता लेते हैं, कुछ नहीं। कुछ आवेदन करते हैं, तो कुछ प्रक्रिया ही नहीं अपनाते। लेकिन निरीक्षण और समय-समय पर समीक्षा की अनुपस्थिति ही इन स्थितियों की जननी बनती है।
बढ़ना होगा समाधान की ओर
शिक्षा विभाग को जिले के हर निजी स्कूल की मान्यता की स्थिति सार्वजनिक करनी चाहिए।
स्कूल भवन के बाहर मान्यता क्रमांक और अवधि अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने का आदेश दिया जाना चाहिए।
पालकों के लिए एक सार्वजनिक पोर्टल बनाया जाए, जहां वे किसी भी स्कूल की मान्यता की स्थिति देख सकें। समय-समय पर विद्यालयों का भौतिक निरीक्षण कर अनियमितता मिलने पर ठोस कार्यवाही की जाए।
अभिभावकों की भूमिका भी रहती है अहम
बिना मान्यता के स्कूल तभी तक चलते हैं जब तक समाज मौन रहता है। पालकों को स्कूल का चयन करते समय केवल फीस या दूरी नहीं, बल्कि वैधता और गुणवत्ता की जांच करनी होगी।।