प्राचार्य पद पर पदोन्नति – व्याख्याता संघ की मांग काउंसलिंग की जाए व्याख्याता फोरम की मांग एक तरफ़ा ज्वाइन करने वालों को निलंबित किया जाए

प्राचार्य पद पर पदोन्नति – व्याख्याता संघ की मांग काउंसलिंग की जाए
व्याख्याता फोरम की मांग एक तरफ़ा ज्वाइन करने वालों को निलंबित किया जाए
रायपुर खबर योद्धा विद्या भूषण दुबे।। प्राचार्य पद पर पदोन्नति में हाई कोर्ट के द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने के बाद शिक्षा विभाग के अलग-अलग कर्मचारी संघों के द्वारा अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। जहां एक ओर प्राचार्य पद पदोन्नति के लिए नियमित व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ के द्वारा काउंसलिंग की मांग की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने एक तरफा कार्यभार ग्रहण करने वाले व्याख्याताओं के निलंबन की मांग की है।
नियमित व्याख्याता संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप झा ने संचालक लोक शिक्षण से पदोन्नत व्याख्याता, व्याख्याता(एल बी),प्रधान पाठक के लिए न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण करते हुए शीघ्र काउंसलिंग कराए जाने की मांग की है।
श्री झा के अनुसार सीमित सेवा अवधि शेष रहने वाले कर्मचारी 6 माह की अवधि पूर्व ही पदस्थापना ले लें, जिससे कि उनके जी पी एफ कटौती ,पेंशन प्रकरण आदि समय में पूर्ण हो सकें। उन्होंने बताया कि माननीय न्यायालय द्वारा अवमानना का जो नोटिस शासन को जारी हुआ है,उसके लिए उचित कारणों/उत्तर का भी सुझाव संगठन द्वारा संचालक को दिया गया,। इन कारणों में पदोन्नत कर्मचारियों की सेवा स्थिति/ अवधि भी परिलक्षित हो रही है,जो कि शीघ्र काउंसलिंग का आधार बनता है।
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने स्कूल शिक्षा सचिव और संचालक लोक शिक्षण से छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 30 अप्रैल को जारी प्राचार्य पदोन्नति की सूची में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा 1 मई को सुनवाई के दौरान आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के बाद भी प्रदेश के कुछ व्याख्याताओं ने माननीय न्यायालय एवं शासन के निर्देश की अवमानना करते हुए 1 मई को एक तरफा प्राचार्य के पद पर पदभार ग्रहण कर लिया है।
फोरम के संयोजक अनिल शुक्ला का कहना है कि मामला आज 7 मई को उच्च न्यायालय बिलासपुर में हुई सुनवाई के दौरान प्राचार्य पदोन्नति की बाधित करने वाले याचिका कर्ता के अधिवक्ता ने स्टे होने के बाद भी ज्वाइनिंग का मामला कोर्ट के समक्ष उठाया । जिसकी परिणीति यह रही कि शासन से पुनः जवाब मांग कर सभी प्रकरण को अंतिम सुनवाई के लिए 9 जून तक बढ़ा दिया गया । प्राचार्य पदोन्नति फोरम के अनिल शुक्ला, राकेश शर्मा, श्याम कुमार वर्मा , आर के झा आदि का कहना है कि एक तरफा कार्यभार ग्रहण करने वाले व्याख्याताओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर संबंधित जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए।