कवर्धा खबर योद्धा ।। बोड़ला विकासखंड के ग्राम रानीदहरा में उस समय पूरे गांव में सन्नाटा फैल गया जब खेतों में सिंचाई के लिए खोदे गए एक कुएं से लगभग 10 दिन के नवजात बालक का शव मिला। ग्रामीणों ने जैसे ही कुएं में तैरता छोटा सा निर्जीव शरीर देखा, गांव में दहशत और दुख दोनों छा गए। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी छोटी उम्र के मासूम के साथ इतनी अमानवीय हरकत की गई होगी। सूचना मिलते ही बोड़ला थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकालकर जरूरी कार्रवाई शुरू की।

नवजात का शव गांव में पसरा सन्नाटा
ग्रामीण सुबह की दिनचर्या में कुएं के पास मौजूद थे, तभी उनकी नजर पानी में तैर रहे नवजात पर पड़ी। कुएं में लगभग पांच फीट पानी था और शव पानी की सतह पर दिखाई दे रहा था। बोड़ला थाना के एएसआई प्रहलाद चंद्रवंशी ने बताया कि नवजात लगभग 10 दिन का है और लड़का है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि जन्म के बाद उसे सीधे कुएं में फेंका गया या कहीं और से लाकर यहां डाला गया। शव को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और बाद में ग्रामीणों की उपस्थिति में अंतिम कार्रवाई पूरी कर शव को उसी खेत मालिकों और रानीदहरा के ग्रामीणों को सौंप दिया गया। एएसआई ने बताया कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और विभिन्न पहलुओं पर काम किया जा रहा है।
कबीरधाम जिले में यह पहला मामला नहीं
कबीरधाम जिले में नवजात शिशुओं को लावारिस अवस्था में मिलने की घटनाएँ लगातार सामने आती रही हैं। कभी नवजात को झाड़ियों में छोड़ दिया गया, कभी सड़क किनारे, तो कई बार नालियों और खेतों में भी नवजात के शव मिलने के मामले प्रकाश में आए हैं। कुछ घटनाओं में जीवित छोड़े गए नवजात को पुलिस, राहगीरों या ग्रामीणों ने बचाया, लेकिन कई मामलों में जानवरों द्वारा शव को नोचने की खबरों ने हर किसी को झकझोरकर रख दिया।
पुलिस जांच कई कोणों से शुरू, प्रसव का पता लगाने की कोशिश
पुलिस अब यह जांच कर रही है कि हाल ही में आसपास के किसी गांव में प्रसव हुआ था या नहीं। स्वास्थ्य केंद्रों, आशा कार्यकर्ताओं, दाईओं और ग्रामीण प्रतिनिधियों से जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस यह भी देख रही है कि क्या किसी परिवार ने नवजात के जन्म या मातृत्व से जुड़े किसी तथ्य को छिपाने की कोशिश की है। एएसआई प्रहलाद चंद्रवंशी ने कहा कि ऐसे मामलों में सत्य तक पहुँचना संभव होता है, क्योंकि प्रसव का कोई न कोई सामाजिक, पारिवारिक या चिकित्सकीय संकेत आसपास की आबादी में मौजूद रहता है।
क्यों बढ़ रही हैं नवजात त्याग की घटनाएँ
जिले में लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के पीछे कई सामाजिक कारण देखे जा रहे हैं। इनमें अवांछित गर्भ का होना, सामाजिक बदनामी का भय, परिवार का दबाव, आर्थिक असमर्थता या किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव बड़ी वजह बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि परामर्श सेवाओं की कमी और सुरक्षित गर्भधारण संबंधी जागरूकता की कमी भी जिम्मेदार हो सकती है। लेकिन इन परिस्थितियों के बीच एक नवजात की जान लेना या उसे लावारिस छोड़ देना न केवल अपराध है बल्कि मानवता के लिए सबसे बड़ा कलंक है।
गांव के लोगों में दुख और आक्रोश, महिलाओं की आंखें नम
रानीदहरा के ग्रामीण इस घटना को लेकर बेहद दुखी हैं। कई महिलाएं शव को कुएं से निकलते देख भावुक हो गईं और रो पड़ीं। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि ऐसी घटना पहले कभी नहीं देखी गई और यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर किसी को इतनी निर्दयता की क्या मजबूरी रही होगी। कुछ युवाओं ने कहा कि दोषी चाहे कोई भी हो, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा ।
