भालापुरी स्कूल में शिक्षक की भारी कमीः 2022 से नहीं लौटी शिक्षिका, 40 विद्यार्थियों की पढ़ाई संकट में

भालापुरी स्कूल में शिक्षक की भारी कमीः 2022 से नहीं लौटी शिक्षिका, 40 विद्यार्थियों की पढ़ाई संकट में
कवर्धा खबर योद्धा।। कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मिनमिनिया के आश्रित ग्राम भालापुरी की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला इन दिनों गंभीर शिक्षक संकट से जूझ रही है। विद्यालय में कक्षा छठवीं से आठवीं तक अध्ययनरत 40 से अधिक विद्यार्थियों की पढ़ाई मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रही है। दूसरी ओर, स्कूल में पदस्थ एक महिला शिक्षिका वर्ष 2022 से लगातार अनुपस्थित है, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है।
2022 से अनुपस्थित शिक्षिका, कार्रवाई अब तक शून्य
विद्यालय में दो पद स्वीकृत हैं – शिक्षक धनश्याम सिंह राणा और शिक्षिका अनिता धुर्वे। ग्रामीणों के अनुसार, अनिता धुर्वे ने 12 फरवरी 2022 को पदभार ग्रहण किया था, लेकिन उसके बाद वे कभी स्कूल लौटी ही नहीं। इस ढाई वर्षों की अनुपस्थिति के बावजूद न तो उनके विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई और न ही किसी अन्य शिक्षक की पदस्थापना की गई। परिणामस्वरूप, पूरा शैक्षणिक दायित्व एक ही शिक्षक के कंधों पर आ गया है।
विद्यार्थियों का भविष्य अधर में
ग्रामीणों का कहना है कि एक शिक्षक के भरोसे तीन कक्षाओं का संचालन न तो व्यावहारिक है और न ही शैक्षणिक गुणवत्ता की दृष्टि से उचित। इससे विद्यार्थियों को न केवल पढ़ाई में नुकसान हो रहा है, बल्कि वे सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों और मानसिक विकास के जरूरी अवसरों से भी वंचित हो रहे हैं। अभिभावकों में इसको लेकर गहरी नाराजगी है।
कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन, शिक्षा अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप
गंभीर स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय पहुंचा और ज्ञापन सौंपकर तत्काल शिक्षक की नियुक्ति या अनुपस्थित शिक्षिका की वापसी की मांग की। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला, जबकि धरातल पर कोई बदलाव नहीं हुआ।
शिक्षा का अधिकार अधूरा, सरकारी स्कूलों से टूटता भरोसा
ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब सरकार शिक्षा को मौलिक अधिकार बना चुकी है, तब ग्रामीण इलाकों में यह अधिकार केवल कागजों में ही क्यों सीमित है? उन्होंने कहा कि इस प्रकार की उपेक्षा से ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है, जो कि चिंताजनक है।
प्रशासन से दो टूक मांग
ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि या तो अनुपस्थित शिक्षिका को तुरंत स्कूल भेजा जाए, या फिर उनकी जगह किसी नए शिक्षक की नियुक्ति की जाए। साथ ही, ढाई साल से लगातार अनुपस्थित रहने पर संबंधित शिक्षिका के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई न जाए।
अधिकारियों ने फिर दिया आश्वासन
ग्रामीणों की शिकायत पर अपर कलेक्टर मोनिका कौडो ने मामले की जांच और त्वरित समाधान का आश्वासन दिया है। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी एफआर वर्मा ने भी जांच की बात कही है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कई बार जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई है और कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल
भालापुरी का यह मामला न केवल एक स्कूल की समस्या है, बल्कि यह पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है। यदि इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यह स्थिति न केवल बच्चों के भविष्य को प्रभावित करेगी, बल्कि ग्रामीण विकास की संभावनाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।