उचित मूल्य की दुकान संचालकों के लिए हिटलरशाही फरमान – विक्रेता कल्याण संघ शासकीय राशन दुकान बंद कर सामूहिक इस्तीफा की दी चेतावनी डिप्टी सीएम कार्यालय और कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
उचित मूल्य की दुकान संचालकों के लिए हिटलरशाही फरमान – विक्रेता कल्याण संघ
शासकीय राशन दुकान बंद कर सामूहिक इस्तीफा की दी चेतावनी
डिप्टी सीएम कार्यालय और कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
कवर्धा खबर योद्धा।। प्रदेश सहित जिले में चल रही समर्थन मूल्य में धान खरीदी के बीच शासन-प्रशासन द्वारा समितियों में बारदाने की भारी कमी को दूर करने जिस ढंग से कार्यवाही की जा रही है उसे लेकर अब खुलकर विरोध सामने आने लगा है। दरअसल शासन-प्रशासन द्वारा धान खरीदी के लिए बारदानो की किल्लत को दूर करने के लिए पहले तो राईस मिलर्स के ठिकानो में दबिस दी और अब शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों पर बारदाना जमा करने के लिए सख्ती बरती जा रही है।
इसके लिए शासन के निर्देश पर प्रशासन ने बकायदा शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों को नोटिस भी जारी किया गया है। आरोप है कि प्रशासन द्वारा जारी नोटिस में जिस ढंग शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों के लिए हिटलरशाही फरमान जारी किए गए है उसे लेकर अब शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालक संघ ने शासन-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सामूहिक इस्तीफा तक देने की चेतावनी दे डाली है।
वहीं प्रशासन के इस फरमान के विरोध में मंगलवार को जिलेभर की शासकीय उचित मूल्य की दुकानो को बंद रखने का ऐलान किया है। अपनी इस समस्या और मांगों को लेकर सोमवार को उप मुख्यमंत्री कार्यालय कवर्धा पहुंचे जिलेभर के शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों ने बताया कि प्रशासन द्वारा उन्हें बारदाना के लिए अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। संघ के प्रदेश सचिव विजय धृतलहरे ने बताया कि प्रशासन ने संचालकों को जो हिटलरशाही फरमान जारी किया है उसमें कहा गया है कि संचालक सौ प्रतिशत बारदाना सही अवस्था में वापस लौटाएं और अगर संचालक ऐसा नहीं करते तो उनके कमीशन से प्रति बोरा 50 रूपए की राशि काटी जाएगी। इतना ही नहीं संचालकों की माने तो उन्हें बारदाना जमा नहीं करने पर अपराध पंजीबद्ध करने तक की चेतावनी दी गई है। जबकि संचालकों का स्पष्ट कहना है कि उन्हें चावल भरकर जो बोरा दिया जाता है वह पहले से पुराना और फटा होता है ऐसी स्थिति में वे शत् प्रतिशत साफ सुथरा बोरा वापस कैसे लौटा सकते हैं, यह समझ से परे है। वहीं संचालकों का यह भी कहना है कि राशन दुकानो से हर माह बारदाना का उठाव नहीं किया जाता एक साथ कई-कई महिनो के बारदाना की मांग अब एक साथ की जा रही है। जबकि संचालकों के पास न तो बारदाना रखने की उचित व्यवस्था है और न ही वे इतने लम्बे समय तक बारदानों को सुरक्षित रख पाते हैं। यही वजह है कि संचालकों को अब प्रशासन का फरमान जरा भी रास नहीं आ रहा है और उन्होने इसके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सामूहिक इस्तीफा की चेतावनी दे दी है। देखने वाली बात होगी की बारदाना की इस लड़ाई का समाधान आगे किस ढंग से किया जाता है।