नगर निगम क्या अब शहर की जनता के लिए प्रताड़ना निगम बन गया ?
नगर निगम क्या अब शहर की जनता के लिए प्रताड़ना निगम बन गया ?
राजनांदगाव रमेश निवल ।। जैसा कि आप सभी को इस बात की जानकारी है कि नगर निगम द्वारा राजनांदगांव के नागरिकों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है। कभी निजी टैक्स वसूली ठेका पर देकर ठेकेदार के आदमियों से नागरिकों के घरों में बिना अनुमति अंदर जाकर नगर निगम की धौस दिखाकर नाप करना और संपत्तिकर को दो से तीन गुना बढ़ाने का काम करना तो कभी स्वनिर्धारण के नाम पर नियम विरूद्ध पटाए गए टैक्स मालिकों के उपर पूर्व वर्ष का अतिरिक्त टैक्स (शुल्क) निकालकर पांच गुना अर्थदंड लगाकर राजनांदगांव शहर के नागरिकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम भाजपा सरकार आते ही नगर निगम प्रशासन कर रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष राजनांदगांव के विधायक डा. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में आम जनता परेशान और प्रताड़ित हो रही है। वर्तमान में नगर निगम आयुक्त द्वारा शहर के 584 मकान मालिकों को अर्थदंड पटाने हेतु नोटिस भेजा गया है। जिस नोटिस में तारीख भी नहीं डाला गया है।
इसका एक उदाहरण है अशोक बाफना, राजकुमार, उत्तम चंद, केसरीमल बाफना के द्वारा वर्ष 2024 टैक्स जितना नगर निगम द्वारा निर्धारण कर मांगा गया था उतना ही इनके द्वारा पूरा टैक्स 2023-24 का 24.01.2024 को 15323 रूपए पटा दिया गया है। उसके बाद वर्ष 2024-25 में पिछले वर्ष अंतर राशि 7496 रूपए वर्तमान में गुगल अर्थ एप से निकाली गई है बताकर पिछले वर्ष की अंतर राशि 7496 का पांच गुना अर्थदंड 37480 रूपए अतिरिक्त पटाने हेतु एक सप्ताह पूर्व नोटिस देकर 37480 पटाने हेतु कहा गया है। इसी तरह शहर के 584 मकान मालिकों को पटाएं गए, पटाने वाले टैक्स की अंतर राशि नियम विरूद्ध निकालकर जनता को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर आर्थिक बोझ दिया जा रहा है और टैक्स पटाने के बाद भी नागरिकों भुगतान नहीं किया गया है बताया जा रहा है।
जबकि यह नियम के अनुसार गलत है। गुगल अर्थ एप, जीपीएस नगर निगम में मान्य नहीं है। गुगल अर्थ एप और जीपीएस से नापकर टैक्स लेने के संबंध में कोई विषय सामान्य सभा में नहीं आया है। नगर निगम आयुक्त सत्ता सरकार के इशारे पर राजनांदगांव की जनता को प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं। नियम विरूद्ध अंतर की राशि पिछले वर्ष की इस वर्ष बिना निगम वार्ड के मोर्हरिर से नाप के निकलवाएं बगैर निकालना गलत है और इसकेनगर निगम के आयुक्त है। यह लापरवाही निगम आयुक्त की है इनके द्वारा वर्तमान वर्ष से यदि
कोई संपत्ति का बढ़ा हुआ टैक्स आता है तो उसे नाप कराकर लेना चाहिए। बिना नाप जोख
के गुगल अर्थ एप के नाम पर निगम आयुक्त का जनता में अर्थदंड की वसूली स्वनिर्धारण के नाम करना पूर्णतः गलत है। इस तरह शहर के नागरिकों को नियम विरूद्ध भेजे गए अंतर की राशि वसूली के नोटिस के जवाबदार खुद निगम आयुक्त है और नगर निगम आयुक्त पर कार्यवाही जरूर होना चाहिए ताकि यह नागरिकों को परेशान करने के इरादे छोड़ दें। इस तरह यह आगे जाकर पूरे शहर के घरों के नाप शुरू करके भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। जहां
वाजिब टैक्स होता है वहां लिये जाने में एतराज नहीं है। किन्तु इस तरीके से नोटिस भेजकर
भ्रष्टाचार की दुकानदारी खोलने का काम निगम आयुक्त करवा रहे हैं। निगम को पता है कि
नोटिस मिलने पर लोग संपर्क करेंगे फिर वहीं से निगम में भ्रष्टाचार और जनता को प्रताडित करने का काम शुरू हो जाता है। इस बाबत् मेरे द्वारा निगम आयुक्त को लिखित पत्र के द्वारा 584 मकान मालिकों को भेजे गए नोटिस को निरस्त करने बाबत् लिखा गया है। जो नियमानुसार हो उसे वर्तमान वर्ष से लिया जाना उचित है, किन्तु हिटलरशाही से पिछले वर्ष का निकालकर पांच गुना अर्थदंड की राशि की नोटिस भेजना के इस नियम विरूद्ध कार्य को स्वीकार नहीं किया जाएगा। नोटिस वापस नहीं लेने पर निगम आयुक्त कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन तथा कांग्रेस के वरिष्ठजनों को जानकारी देकर विधानसभा के माध्यम से सत्ता सरकार के इशारे पर हो रहे नियम विरूद्ध कार्य को बंद कर जनता को राहत देने की मांग की जाएगी।