सूखाताल पंचायत में नहीं बैठ रही सरपंच-सचिव की पटरी
आरोप-प्रत्यारोप के बीच ठप पड़ा विकास, कलेक्टोरेट तक पहुंचा विवाद
कवर्धा खबर योद्धा।। जनपद पंचायत कवर्धा अंतर्गत ग्राम पंचायत सूखाताल में सरपंच और सचिव के बीच चल रहा टकराव अब गंभीर प्रशासनिक संकट का रूप ले चुका है। हालात ऐसे बन गए हैं कि पंचायत का कामकाज प्रभावित हो रहा है और गांव का विकास ठहर गया है। कभी सरपंच अपने समर्थक ग्रामीणों के साथ सचिव के खिलाफ शिकायत लेकर जिला कार्यालय पहुंचती हैं, तो कभी सचिव के समर्थन में पंच और ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंचकर सरपंच पर गंभीर आरोप लगाते नजर आ रहे हैं।
सरपंच पक्ष के आरोप: मतदाता सूची से छेड़छाड़ का दावा
कुछ दिन पहले ग्राम पंचायत सूखाताल की सरपंच श्रीमती नेहा वर्मा और उनके पति ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए पंचायत सचिव अशोक वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए थे। सरपंच पक्ष का कहना था कि सचिव अपने ही मूल ग्राम सुखाताल में 23 सितंबर 2024 से अतिरिक्त प्रभार पर पदस्थ हैं। आरोप लगाया गया कि मतदाता सूची के प्रथम प्रकाशन के दौरान करीब 200 से 250 मतदाताओं को बिना सूचना एक वार्ड से दूसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रभावित होने की आशंका है। इसी आधार पर सचिव को तत्काल ग्राम पंचायत सूखाताल से हटाने की मांग की गई थी।

सचिव समर्थकों का पलटवार: सरपंच पर मनमानी का आरोप
अब इस विवाद ने उलटा मोड़ ले लिया है। शुक्रवार को सचिव के समर्थन में बड़ी संख्या में पंच और ग्रामीण जिला कार्यालय पहुंचे और सरपंच श्रीमती नेहा वर्मा तथा उनके पति के खिलाफ लंबी-चौड़ी शिकायत दर्ज कराई। शिकायत करने पहुंचे पंचों में राजेंद्र वर्मा, सुशील वर्मा, जगन्नाथ वर्मा, धनीराम वर्मा, शिवकुमार साहू, श्रीमती सिया बाई, सतिबाई और श्रीमती बबिता कुर्रे सहित अन्य ग्रामीण शामिल रहे।

बैठकों से दूरी, विकास कार्यों पर ब्रेक
ग्रामीणों और पंचों का आरोप है कि सरपंच पिछले करीब आठ महीनों से ग्राम पंचायत की बैठकों में शामिल नहीं हुई हैं, जबकि इस अवधि में लगभग 15 बैठकों का आयोजन किया जा चुका है। पंचों का कहना है कि सरपंच की अनुपस्थिति और कथित मनमानी के कारण पंचायत के कई जरूरी निर्णय अटके पड़े हैं, जिससे गांव की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा।
लाखों के काम अटके, ग्रामीण परेशान
पंचों ने आरोप लगाया कि पंचायत में स्वीकृत सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए 4.50 लाख रुपये, हाई स्कूल मरम्मत के लिए 1.60 लाख रुपये, हाई स्कूल शौचालय मरम्मत के लिए 10.30 लाख रुपये और मनरेगा के तहत स्वीकृत कई कार्यों को राशि मंजूर होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। इससे ग्रामीणों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है और गांव का विकास पूरी तरह ठप हो गया है।
प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग
पंचों और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि ग्राम पंचायत सूखाताल में चल रहे इस गतिरोध को खत्म करने के लिए त्वरित हस्तक्षेप किया जाए। उन्होंने सरपंच को पद से हटाने की मांग भी उठाई है, ताकि पंचायत के विकास कार्य दोबारा शुरू हो सकें। लगातार कलेक्टोरेट तक पहुंच रहे इस विवाद ने साफ कर दिया है कि प्रशासनिक हस्तक्षेप के बिना सूखाताल पंचायत में हालात सामान्य होना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है।
