कवर्धा में आदिवासी समाज का शक्ति प्रदर्शन — 15 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव,
पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोका रास्ता 700 पुलिस थी तैनात

कवर्धा खबर योद्धा।। कवर्धा शहर सोमवार को सुबह से ही हलचल में डूब गया। हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग हाथों में तख्तियां, मांग पत्र और नारे लगाते कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ रहे थे। उनकी मंशा प्रशासन तक अपनी 15 सूत्रीय मांगों को पहुंचाने की थी। लेकिन शहर के मुख्य मार्गों पर पहले से ही प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। बैरिकेडिंग और भारी पुलिस बल की तैनाती के कारण प्रदर्शनकारी कलेक्ट्रेट से कुछ दूर ही रुक गए। सुबह से शाम तक कवर्धा शहर पुलिस, प्रदर्शनकारियों और आम नागरिकों के बीच एक सतर्क और तनावपूर्ण माहौल में घिरा रहा।
सुबह से ही घेराव की तैयारी, कलेक्ट्रेट बना सुरक्षा ज़ोन
आदिवासी समाज और भीम आर्मी के आह्वान पर यह प्रदर्शन पहले से तय था। इसी को देखते हुए प्रशासन ने रविवार रात से ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए थे। सोमवार सुबह 7 बजे से ही शहर के प्रमुख मार्गों— रायपुर रोड, बस स्टैंड, कलेक्ट्रेट मार्ग और शासकीय भवनों के आसपास पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए। कलेक्टर कार्यालय की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर पुलिस तैनात रही।

पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर 700 से अधिक पुलिस जवानों की ड्यूटी लगाई गई थी, जिनमें आसपास के जिलों से बुलाई गई अतिरिक्त टुकड़ियां भी शामिल थीं। भीड़ की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे भी लगाए गए थे। महिला प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मी मौजूद थीं।

शहर में जाम, आम लोगों को परेशानी
सुरक्षा व्यवस्था और प्रदर्शन के चलते कवर्धा के प्रमुख मार्गों पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रही। कलेक्टर कार्यालय जाने वाला मुख्य मार्ग पूरी तरह सील था। जिला अस्पताल की ओर जाने वाले मरीजों और एंबुलेंस को वैकल्पिक रास्तों से होकर गुजरना पड़ा। केवल छीरपानी कॉलोनी मार्ग को खोलकर रखा गया, जिससे लोगों को करीब तीन किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ा।

कामकाजी वर्ग और विद्यार्थियों को भी परेशानी हुई। विशेषकर मजदूर वर्ग पर असर सबसे ज्यादा पड़ा। विश्राम गृह के सामने रोज काम की तलाश में बैठने वाले करीब 300 मजदूरों को उस दिन कोई काम नहीं मिल सका। दीपावली से पहले के इस व्यस्त समय में मजदूरी न मिलने से उनका दिन खाली गुजर गया।
प्रदर्शनकारियों की मांगें — न्याय, सम्मान और सुरक्षा का सवाल
प्रदर्शन आदिवासी समाज की ओर से अपनी पहचान, अधिकार और न्याय की मांग का स्वर था। ज्ञापन में रखी गई 15 सूत्रीय मांगों में प्रमुख हैं —
आदिवासी युवती के साथ हुए अनाचार के मामले में शीघ्र न्याय,
आदिवासी अधिकारियों-कर्मचारियों के स्थानांतरण पर रोक,
भोरमदेव मंदिर में पूजा से जुड़ी व्यवस्थाओं को लेकर स्पष्ट दिशा,
पंडरिया के कामठी गांव में दुर्गा पंडाल विवाद का समाधान,
और समाज के प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संवाद की मांग।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वर्षों से आदिवासी समाज की समस्याएं अनदेखी की जा रही हैं। अब समाज संगठित होकर अपने हक के लिए आवाज उठा रहा है।
पुलिस-प्रशासन की सतर्कता से टला तनाव, दिनभर निगरानी जारी
सुबह से लेकर शाम तक प्रशासन ने हालात पर कड़ी निगरानी रखी। पुलिस अधीक्षक और एएसपी स्वयं मौके पर रहे। कई जगहों पर नारेबाजी और बहस की स्थिति बनी, लेकिन किसी प्रकार की हिंसक घटना नहीं हुई। दोपहर बाद प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हुआ।
जिला प्रशासन ने कहा कि ज्ञापन प्राप्त कर लिया गया है और इसे शासन को भेजा जाएगा। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि हर नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता है।
एकता का संदेश और प्रशासन के लिए चुनौती
कवर्धा का यह प्रदर्शन सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की एकता और आत्मसम्मान की आवाज था। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि अब समाज अपनी बात खुलकर कहना चाहता है। वहीं, प्रशासन के सामने चुनौती यह है कि संवाद और व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखा जाए, ताकि आने वाले दिनों में ऐसी स्थिति फिर न बने।
आदिवासी समाज का यह संगठित प्रदर्शन कवर्धा की सड़कों पर एक स्पष्ट संदेश छोड़ गया — न्याय और सम्मान के लिए अब समाज चुप नहीं रहेगा।
