एक दशक से संचालनालय में संलग्न स्थानांतरण नीति और GAD आदेश को दिखा रहे ठेंगा

एक दशक से संचालनालय में संलग्न
स्थानांतरण नीति और GAD आदेश को दिखा रहे ठेंगा
रायपुर खबर योद्धा विद्या भूषण दुबे।। महिला एवं बाल विकास विभाग में शासन के आदेशों और मंत्रिमंडल के द्वारा पारित निर्णय का तार तार हो जाना कोई नई बात नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सलंग्नीकरण समाप्ति को लेकर समय-समय पर सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा आदेश प्रसारित किए जाते रहे हैं। यह पहली मर्तबा है कि मंत्रिमंडल के द्वारा अनुमोदन के बाद जारी स्थानांतरण नीति के कंडिका क्रमांक 1.5 में सभी संलग्न कर्मचारियों को 5 जून से उनके मूल सदस्य स्थान के लिए कार्यमुक्त किए जाने का स्पष्ट उल्लेख है।
जिला मुख्यालय में स्थानांतरण नीति के इसी कंडिका का उल्लेख करते हुए संलग्न कर्मचारियों को उनके मूल पदस्थ स्थान के लिए कार्य मुक्त किया जा रहा है। जबकि पर्यवेक्षकों का मोह एक दशक बीत जाने के बाद भी संचालनालय में कार्य करने से भंग नहीं हुआ है।
बताते चलें कि मैदानी एरिया के मूल कार्य को छोड़ संचालनालय , महिला आयोग व अन्य कार्यालयों में संलग्न होकर बिंदास काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि छग राज्य महिला आयोग में संलग्न श्रीमती तिवारी 15 वर्षो के सेवा काल में 10 से अधिक वर्षो तक अन्यत्र कार्य कर रही है।
परियोजना , जिला मुख्यालय से लेकर संचालनालय में पद के विपरीत लिपिकों का कार्य कर रहे संलग्न पर्यवेक्षकों को उच्चाधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है।
1 – श्रीमती हेमलता अग्रवाल विगत लगभग 10 वर्षों से संलग्न । वर्तमान में स्थापना शाखा देख रही हैं ।
2 – श्रीमती प्रीति भवरे (साहू) लगभग 10 वर्षों से संलग्न ICDS शाखा
3 – श्रीमती खिलेश्वरी साहू 5 वर्ष से संलग्न महिला सशक्तिकरण शाखा में कार्यरत
4 – कुमारी काजल गिरेपूंजे विगत 5 वर्ष से संलग्न आईसीडीएस शाखा में कार्यरत
5 – 8 श्रीमती गायत्री साहू , रोहिणी साहू शालिनी घीवर , संध्या साहू ये चारों पर्यवेक्षक विगत 2 -2 वर्षों से संलग्न संचालनालय में संलग्न हैं।
9 – इसी प्रकार से श्रीमती श्रद्धा साहू विगत 1 वर्ष से संचालनालय में संलग्न हैं और इन लोगों के द्वारा अलग-अलग शाखों में कार्य किया जा रहे हैं।
देखने वाली बात यह है कि जो काम लिपिक वर्ग से लिया जाना है वह काम इन संलग्न पर्यवेक्षक लोगों के द्वारा किया जा रहा है। ऐसी बात भी नहीं है कि संचालनालय के अधिकारी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशों से और मंत्रिमंडल के द्वारा पारित स्थानांतरण नीति के नियमों अनभिज्ञ होंगे ।
बहरहाल संचालनालय और आयोग में संलग्न इन पर्यवेक्षकों को उनके मूल पदस्थ स्थान के लिए कब कार्य मुक्त किया जाता है यह देखना होगा।
*क्या कहते हैं कर्मचारी नेता*
ख़बरयोद्धा के माध्यम से 10 वर्षों से संलग्नता का मामला मेरे संज्ञान में आया है। लिपिकों का हक मार कर मैदानी कर्मचारियों से कार्य लिया जाना शासन के आदेश निर्देश के विपरीत है। लिपिक वर्ग कर्मचारी संघ लिपिक भाइयों बहनों के साथ है और लिपिक को उनका हक दिलाने के लिए मुख्य सचिव से समय अनुसार चर्चा करेगा।
संजय सिंह प्रदेश अध्यक्ष
महिला एवं बाल विकास विभाग संचालनालय के अधिकारियों को शासन के आदेशों का पालन करना चाहिए।
संतोष वर्मा
कार्यकारी अध्यक्ष
विभाग अध्यक्ष कर्मचारी संघ इंद्रावती भवन
पर्यवेक्षकों को उनके मूल पदस्थ स्थान पर कार्यमुक्त करने और लिपिकों को न्याय दिलाने के लिए प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संघ के द्वारा उच्च स्तरीय पत्राचार किया जाएगा।
करण सिंह अटेरिया
प्रांताध्यक्ष