August 2, 2025

बापू की कुटिया का हाल बेहाल कहीं ताला, कहीं चोरी तो कहीं बना राजनीति का अखाड़ा

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बापू की कुटिया का हाल बेहाल कहीं ताला, कहीं चोरी तो कहीं बना राजनीति का अखाड़ा

    निगम महापौर, आयुक्त व कलेक्टर से बापू की कुटिया के संचालकों की संयुक्त बैठक की उठी मांग

 

रायपुर खबर योद्धा विद्या भूषण दुबे।। छग के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में लगभग 3 करोड़ की लागत से राजधानी में बनाए गए 22 बापू की कुटिया इन दिनों कुछ अलग अलग किस्से कहानियां बयां करती दिखाई दे रही है।

 

        उल्लेखनीय है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में प्रदेश भर में सीनियर सिटीजन लोगों के लिए बापू की कुटिया का निर्माण किया गया। सरकार का मानना था कि बुजुर्ग लोग घर से बाहर कुछ समय के लिए आरामदायक स्थान पर अपना वक्त अपनी उम्र दराज लोगों के साथ बिता सके । अपने हम उम्र का साथ परिचय बढ़ाने पर एक दूसरे का हाल-चाल जान सके अपना दुख दर्द एक दूसरे से बांट सके।

 

 

    बुजुर्गों के मनोरंजन का ध्यान रखते हुए तात्कालिक सरकार के द्वारा बापू की कुटिया में एलईडी टीवी, समाचार पत्र, रेडियो, आराम दायक कुर्सी, शतरंज, कैरम आदि की सुविधा दी गई है। इस कुटिया को सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे बुजुर्गों के लिए खोलना होता है। बाकी समय यहां योगा, आर्ट, ड्राइंग, डांस, जुंबा, पेंटिंग आदि क्लासेस, संगोष्ठी, किटी व चिल्ड्रेन पार्टी, सम्मान समारोह आदि कराने के लिए निर्धारित किया गया है। तय नियमों के अनुसार बापू की कुटिया के संचालन और संधारण का कार्य तीन वर्षों के लिए निजी संस्था को देना था, लेकिन कुछ कुटिया में तस्वीर सब उलट है कुटिया का ठीक से रख-रखाव नहीं हो पा रहा है तो कहीं ताले पड़े हैं कहीं सामान चोरी हो गए हैं। कुछ कुटिया बेहतर संचालित हो रही है बुजुर्गों के साथ आए बच्चे भी कुटिया का लाभ उठा रहे हैं।

      इन सब के बीच राजधानी में एक बापू कुटिया तो राजनीति का केंद्र बना हुआ है, सीनियर सिटीजन आपस में खुले आम गाली गलौच कर रहे हैं। क्षेत्रीय पार्षद भी उनके रवैये से बेहद नाराज़ बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि उक्त पार्षद तल्ख़ लहजे में बापू की कुटिया को पार्षद कार्यालय बनाने की चेतावनी भी दे चुके हैं।

    दरअसल संचालन की जिम्मेदारी भी स्मार्ट सिटी नगर निगम को दी गई। स्मार्ट सिटी ने भी इसके रख-रखाव का कुछ संस्थाओं को दे दिया इसके बाद अधिकारियों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज की स्थिति में कहने के लिए तो बापू की कुटिया तो है पर वहां हो क्या रहा है ? ये जानने के लिए किसी भी अधिकारी को फुर्सत नहीं है।

     कुछ सीनियर सिटीजन लोगों ने निगम महापौर, आयुक्त व कलेक्टर से बापू की कुटिया के वर्तमान समय संचालन कर रहे संस्थाओं की संयुक्त बैठक करने तथा बंद पड़े कुटिया को अन्य संस्थाओं को आबंटित किए जाने के लिए विचार करने की मांग की है।

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जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

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