कबीरधाम के शिकारी पकड़े गए अन्य जिले के , अपने क्षेत्र में वन विभाग की चुप्पी क्यों
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कवर्धा – कबीरधाम जिले के चार शिकारी तोता पकड़ते रंगेहाथ गिरफ्तार हुए, लेकिन दूसरे जिले में कार्रवाई हुई। इस घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब यही शिकारी अपने जिले से निकलकर दूसरे जिले में शिकार कर सकते हैं, तो क्या कबीरधाम में भी ये सक्रिय नहीं हैं, और अगर हैं, तो इन पर यहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
दूसरे जिले में दबिश, कबीरधाम के शिकारी धराए
बीते दिनो खुड़िया रेंज के रेंजर रुद्र कुमार राठौर को सूचना मिली कि दाउकापा गांव के ठाकुरदेव मोहल्ला में स्थित बबूल के पेड़ पर रोजाना तोतों का झुंड विश्राम करता है। इसी पेड़ में कबीरधाम जिले से आए शिकारी एक दिन पहले नायलॉन का फंदा लगाकर गए थे। दबिश के दौरान वन विभाग ने एक जीवित तोता और जाल बरामद कर चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया।
ग्राम कुंडा के चारों आरोपी कबीरधाम के निवासी
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राधे (50) पिता रतिराम पारधी, राजकुमार (50) पिता पदुम पारधी, मंगल (29) पिता पंचू पारधी और सुरेश (27) पिता राधे पारधी के रूप में हुई। चारों ग्राम कुंडा, तहसील पंडरिया, जिला कबीरधाम के निवासी हैं। आरोपियों के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2, 9, 39(1)(क), 48(क), 51 और 52 के तहत अपराध दर्ज कर उन्हें न्यायिक रिमांड में जेल भेजा गया।
ग्रामीणों की सतर्कता से बचा वन्यजीव
दाउकापा के ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में वर्षों से तोते का बसेरा है और शाम होते ही दर्जनों तोते लौटकर यहां विश्राम करते हैं। सोमवार को शिकारी जाल में तोता फंसाने पहुंचे, तो ग्रामीणों ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी। समय रहते कार्रवाई हुई और एक तोते की जान बचाई जा सकी।
अपने जिले में क्यों नहीं होती ऐसी सख्ती
स्थानीय जानकारों का कहना है कि कबीरधाम जिले के कई इलाकों में तोते, तीतर और अन्य वन्य पक्षियों का शिकार लंबे समय से हो रहा है। पारधी और अन्य शिकार में लिप्त समूहों की पहचान विभाग को है, लेकिन यहां शायद ही कभी ऐसी सख्त कार्रवाई देखने को मिलती है। दूसरे जिले में पकड़े गए ये आरोपी कबीरधाम में भी सक्रिय हो सकते हैं, मगर यहां धरपकड़ न होना सीधे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।
