April 6, 2025

लोकसंस्कृति, संगीत और नृत्य के रंग में सराबोर हुआ समापन समारोह अनुज शर्मा की सुरमयी प्रस्तुति ने महोत्सव में बांधा समां 

image_search_1743154283550

 लोकसंस्कृति, संगीत और नृत्य के रंग में सराबोर हुआ समापन समारोह

अनुज शर्मा की सुरमयी प्रस्तुति ने महोत्सव में बांधा समां 

 कवर्धा खबर योद्धा।। छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला, संस्कृति, पर्यटन और विरासत को सहेजने वाले भोरमदेव महोत्सव का भव्य समापन समारोह भक्तिमय और बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। इस आयोजन ने प्रदेशवासियों और पर्यटकों को छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति की अनमोल झलक दिखाने के साथ-साथ उन्हें एक अविस्मरणीय सांस्कृतिक यात्रा पर ले गया। समापन समारोह का सबसे बड़ा आकर्षण छत्तीसगढ़ी संगीत जगत के सुप्रसिद्ध गायक पद्मश्री अनुज शर्मा की मनमोहक प्रस्तुति रही। उन्होंने जब मंच से आरुग हे कलशा दाई…., ससुराल गेंदा फूल…., मोर छाहिया भुईयां…., झन भूलो मां बाप ला…. जैसे सुपरहिट गीत प्रस्तुति से पूरा माहौल संगीतमय हो उठा। उनकी मधुर आवाज ने दर्शकों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

    सोनी टीवी के सुपर डांसर फेम अनिल टांडी ग्रुप द्वारा दी गई धमाकेदार डांस प्रस्तुति ने पूरे कार्यक्रम में ऊर्जा भर दी। उनकी शानदार कोरियोग्राफी और जबरदस्त स्टेज प्रेजेंस ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महोत्सव में स्थानीय स्कूलों के विद्यार्थियों ने भी अपने नृत्य और गायन से समां बांध दिया। इन युवा कलाकारों की प्रस्तुतियों ने साबित किया कि आने वाली पीढ़ी भी अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी हुई है। भोरमदेव महोत्सव का समापन समारोह लोककलाओं के अनोखे संगम का साक्षी बना। इस अवसर पर श्रीमती बसंता बाई एवं साथी ने छत्तीसगढ़ी बैगा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। श्रीमती संगीता कापसे और सुश्री राधिका शर्मा ने कत्थक नृत्य के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन किया। श्री दानी वर्मा ने लोक विधा परसा के फुल प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।  नासीर निदंर ने अपने भजन गायन से भक्तिमय माहौल बना दिया।  दुष्यंत हरमुख ने छत्तीसगढ़ लोक कला मंच ‘रंग झरोखा’ की भव्य प्रस्तुति देकर समारोह को विशेष बना दिया।

      महोत्सव में लाईट और लेजर शो बना मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। कार्यक्रम के अंतिम चरण में विशेष लाईट और लेजर शो का आयोजन किया गया, जिसने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। रोशनी और ध्वनि के इस अद्भुत मेल ने समापन समारोह को और भी शानदार बना दिया। भोरमदेव महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रदेश की कला, संस्कृति और पर्यटन को आगे बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम भी है। यह महोत्सव प्रदेश की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने और उन्हें वैश्विक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस वर्ष का भव्य समापन समारोह हर उस व्यक्ति के दिल में हमेशा के लिए बस गया, जो इसमें शामिल हुआ। भोरमदेव महोत्सव 2025 एक ऐसी यादगार शाम के रूप में दर्ज हुआ, जिसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का गौरव कहा जा सकता है।

 

प्रत्येक वर्ष तेरस और चौदस की तिथि बाबा भोरमदेव के लिए विशेष महत्व

 

  भोरमेदव मंदिर में प्रत्येक वर्ष होली के बाद तेरस और चौदस को बाबा भोरमदेव शिव जी के लिए विशेष दिन रहता है।

प्राचीन काल से तेरस के दिन मंदिर में विशेष अनुष्ठान और दिव्य श्रृंगार सहित अनेक धार्मिक अनुष्ठान किया गया। यहां प्राचीन काल से मंदिर के समीप स्थानीय मेला का आयोजन भी होते आया है, जो समय के साथ-साथ स्थानीय मेला अब महोत्सव का स्वरूप ले लिया है। इन दो दिनो में मंदिर में बाबा भोरमदेव शिव जी का विशेष अनुष्ठान और दिव्य श्रृंगार सहित अनेक धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है। प्रात काल बाबा भोरमदेव का महाभिषेक, एक हजार नामों से सहर्षाचन, रूद्राभिषेक, विशेष श्रृंगार आरती किया गया। दूसरे पहर शायम काल में सहत्रधारा से महाभिषेक, श्रृंगार महाआरती-भस्म आरती, शिव सरोवर के सामने भगवान वरूण देव का पूजन, दीपदान गंगाआरती की गई।।

cropped-1704633184134-3-150x150
जितेन्द्र राज नामदेव

एडिटर इन चीफ - खबर योद्धा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

यह भी पढ़े

error: Content is protected !!